कैसे-कैसे खेल रचता है जन्मपत्री का छठा भाव, जानें कैसे आते हैं इसकी गिरफ्त में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jul, 2017 10:16 AM

astrological prediction of kundli

मनुष्य अपने भाग्य द्वारा बंधा हुआ है। उस पर ग्रहों का जो प्रभाव होता है, उसके अनुसार ही उसका जीवन चलता है। यह किसी के वश की बात नहीं है कि वह अपनी इच्छानुसार अपने जीवन को

मनुष्य अपने भाग्य द्वारा बंधा हुआ है। उस पर ग्रहों का जो प्रभाव होता है, उसके अनुसार ही उसका जीवन चलता है। यह किसी के वश की बात नहीं है कि वह अपनी इच्छानुसार अपने जीवन को मोड़ ले अथवा बिना भाग्य कोई लक्ष्य प्राप्त कर ले। कार्य को करने के दौरान हमारे सामने कई बार समस्याएं भी आती हैं। इन उलझनों को कुंडली के छठे घर से देखा जाता है। जन्मपत्री में छठा घर बीमारी, शत्रु और ऋण का माना गया है जिसका कारक ग्रह मंगल है। छठा भाव यदि कमजोर हो तो जातक को बीमारी, ऋण और शत्रुओं से परेशानी आ सकती है। अचानक चोट या कष्ट आ सकता है, पिता और मामा के लिए भी खराब और यात्रा में हानिप्रद होता है।


छठा स्थान रोग, शत्रु, कर्ज एवं नौकरी का है। बहुत से लोग नौकरी के पीछे-पीछे फिरते हैं। कर्मचारी लोग स्कूटर, मकान के लिए ऋण चाहते हैं। यदि छठे भाव में प्रबल मंगल हो तो शत्रुहन्ता योग का निर्माण होता है। ऐसे जातक के शत्रु उसके नाम से कांपते हैं तथा छठे घर में बलवान राहु हो तो ऐसा जातक अपने विरोधी की जमानत जब्त करा कर तबाह कर देता है। छठे घर में मंगल-शनि वाले जातक की हिंसक, पशु और बेल तुड़ाकर भागे हुए जानवर से दुर्घटना, आप्रेशन एवं कैंसर अथवा तंत्र द्वारा या हाईवे पर दुर्घटना में अकाल मौत की आशंका होती है। यदि लग्नेश व षष्ठेश निर्बल हो तथा लग्नेश क्रूर ग्रहों के मध्य फंसा हो तो ऐसे जातक हत्या के शिकार हो जाते हैं।


परन्तु लग्नेश एवं गुरु के बलवान वाले जातक का शत्रु बाल भी बांका नहीं कर सकते। जिस व्यक्ति की कुंडली में छठे या अष्टम भाव में चंद्रमा-बुद्ध के साथ बैठा हो तो ऐसे जातक की मृत्यु जहर से होती है। जन्मपत्री के 6, 8, 12वें भाव में चंद्रमा हो तो ऐसे जातकों पर पानी में डूबने का खतरा मंडराता रहता है। छठे घर में राहू-शनि की युति हो या दृष्टि पड़ती हो तो शत्रु द्वारा तांत्रिक प्रयोग अवश्य होता है। ईर्ष्यालु गुप्त शत्रु तांत्रिक प्रयोग द्वारा ऐसे जातक को अवश्य कष्ट पहुंचाते हैं और शत्रु कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं। यदि शुक्र छठे भाव में अशुभ स्थिति में हो तो रीढ़ की हड्डी में कमजोरी व पैर की पिंडलियों में दर्द रहता है।


फास्ट फूड का संबंध राहू व शनि से है। सिगरेट, तम्बाकू एवं शराब का संबंध राहू से है। इनके सेवन से राहू खराब हो जाएगा और बीमारी शुरू। ‘जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन’। मंगल ग्रह को ज्योतिष में खून माना गया है, जिसका खून जितना शुद्ध होगा बीमारी उतनी ही कम होगी। अपनी मेहनत की कमाई खाने से तंदरुस्ती अच्छी रहती है जिस इंसान का दिमाग शांत होगा और शारीरिक मेहनत करेगा उसको 70 प्रतिशत बीमारी कम होगी।
 

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