Edited By ,Updated: 14 Jan, 2017 12:39 PM
मकर संक्रांति से धरती पर अच्छे दिनों की शुरूआत हो जाती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण की बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब
मकर संक्रांति से धरती पर अच्छे दिनों की शुरूआत हो जाती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण की बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। उत्तरायण से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। अंधकार घटने लगता है और प्रकाश में बढ़ौतरी शुरू हो जाती है। इस लिहाज से मकर संक्रांति अच्छे दिनों की शुरूआत का पर्व कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य 30-31 दिनों में राशि परिवर्तन करता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलाद्र्ध में होता है। भारत उत्तरी गोलाद्र्ध में है। उस समय सूर्य दक्षिणायन होता है। इसी कारण वहां रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलाद्र्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं व गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है। इसीलिए इसे उत्तरायण कहते हैं।
मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलाद्र्ध में होता है अर्थात भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अंधकार कम होगा। अत: मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है।