Edited By ,Updated: 04 Dec, 2016 01:59 PM
व्यक्ति में कितनी भी अच्छी आदतें हो लेकिन फिर भी उसमें कुछ बुरी आदतें अवश्य होती है। क्रोध एक ऐसी आदत है जिसके कारण व्यक्ति को कई परेशानियों
व्यक्ति में कितनी भी अच्छी आदतें हो लेकिन फिर भी उसमें कुछ बुरी आदतें अवश्य होती है। क्रोध एक ऐसी आदत है जिसके कारण व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्रोध में आकर व्यक्ति के सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है। वह उचित अनुचित में फर्क नहीं कर पाता। मनु स्मृति में क्रोध से संबंधित बुरी आदतों का वर्णन किया गया है।
श्लोक
पैशुन्यं साहसं मोहं ईर्ष्यासूयार्थ दूषणम्।
वाग्दण्डजं च पारुष्यं क्रोधजोपिगणोष्टकः।।
अर्थात: इस श्लोक में क्रोध से संबंधित 8 बुरी आदतों का उल्लेख किया गया है।
* मनु स्मृति के अनुसार किसी की चुगली करना बुरी आदत है। ऐसी आदत होने पर व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आती है। कई बार अपनी इस आदत के करण व्यक्ति को अपमान का सामना करना पड़ता है।
* कुछ लोग क्रोध के कारण दुःसाहसी हो जाते हैं। अपने इसी स्वभाव के कारण कई बार वे ऐसा कार्य कर जाते हैं जिसकी उनसे कल्पना नहीं की जाती। अपनी इस आदत के कारण कई बार उन्हें दूसरों के क्रोध का भी सामना करना पड़ता है।
* गुस्से में आकर बीना सोच-विचार करे विरोध करना भी एक बुरी आदत है। ऐसी आदत के कारण बाद में स्थिति सामान्य होने पर भी व्यक्ति को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
* कई लोग दूसरों से ईर्ष्या करते हैं। ऐसे लोग दूसरों की उन्नति को देखकर जलते हैं। उनके बारे में भला-बुरा कहते हैं। इस प्रकार के लोगों को जीवन में कभी संतोष की प्राप्ति नहीं होती ।
* दूसरों को गाली देना भी बुरी आदत है। गाली देकर बात करने वाले लोगों को सभ्य नहीं माना जाता। क्रोध में आकर व्यक्ति किसी को गाली देते समय अपने आपे में नहीं रहता। उसे उचित अनुचित का ध्यान नहीं रहता इसलिए लोगों को ऐसी बुरी आदत से बचना चाहिए।
* कुछ लोगों को दूसरों में केवल दोष ही नजर आते हैं। ऐसे लोगों को परिवार अौर समाज में उचित स्थान नहीं मिलता इसलिए इस प्रकार की बुरी आदत से बचा चाहिए।
* दूसरों की धन-दौलत को बलपूर्वक छिनने वाला निंदा का पात्र बनता है। इस प्रकार के लोग अपने निजी लाभ के लिए अपनों को भी नुक्सान पहुंचाने से भी नहीं कतराते इसलिए इस प्रकार के लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
* बुरे स्वभाव के लोग दूसरों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ऐसे लोगों को अपने पराए का भेद पता नहीं चलता। इस प्रकार के लोगों को परिवार अौर समाज में उचित स्थान नहीं मिल पाता।