Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Feb, 2018 11:29 AM
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंगों का त्यौहार होली मनाया जाता है। यह पर्व बसंत ऋतु का संदेशवाहक भी है जब प्रकृति अपने माधुर्य की चरम सीमा पर होती है। भारत की संस्कृति एवं इतिहास का परिचायक यह पर्व आध्यात्म के रस में सराबोर भारतीय जन मानस
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंगों का त्यौहार होली मनाया जाता है। यह पर्व बसंत ऋतु का संदेशवाहक भी है जब प्रकृति अपने माधुर्य की चरम सीमा पर होती है। भारत की संस्कृति एवं इतिहास का परिचायक यह पर्व आध्यात्म के रस में सराबोर भारतीय जन मानस के मनों पर श्रद्धा एवं भक्ति के गहरे रंगों की अमिट छाप छोड़ देता है, जहां यह पर्व हास-परिहास का तथा रंगों का है वहीं यह कटुता एवं क्रोध के परित्याग करने का भी पर्व है।
रंगों से भरा त्यौहार होली भेद-भाव और शत्रुता भुलाकर एक दूसरे से प्रेम मिलने का पर्व है परंतु कुछ लोग होली के पर्व का फायदा उठाकर आप पर तंत्र- मंत्र और अभिचार भी कर सकते हैं। होली चार महापर्वों में से एक है जिसमें तंत्र-मंत्र और अभिचार सबसे प्रचुर प्रभाव पर होते हैं। इसका फायदा उठाकर आपके शत्रु और आप से वैर रखने वाले लोग आप पर तंत्र-मंत्र कर सकते हैं। इस संदर्भ में आप अपने ऊपर पड़ने वाले तंत्र-मंत्र के प्रभाव से स्वयं को बचा सकते हैं।
कभी भी किसी के घर होली के दिन नारंगी रंग की बनी मिठाई न खाएं।
किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन न करें क्योंकि काला जादू सबसे अधिक शराब और मदिरा पर अपना प्रभाव दिखाता है।
लौंग और इलायची से बने पदार्थ न खाएं अन्यथा आप वशीकरण के शिकार हो सकते हैं।
जलेबी जैसी मिठाई कदापि न खाएं क्योंकि सर्वाधिक रूप से इसका इस्तेमाल वैरोचन कर्म करने के लिए किया जाता है।
गुड़ और काली मिर्च से बने हुए पदार्थों का बिल्कुल सेवन न करें। इसका इस्तेमाल स्तंभन कर्म करने के लिए किया जाता है।
मांस से बनी चीजों का सेवन न करें इससे मारण कर्म का प्रयोग किया जाता है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल kamal.nandlal@gmail.com