रात 12 बजे जन्मदिन  मनाना होता दुर्भाग्यपूर्ण, जानिए क्यों

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Dec, 2017 03:51 PM

celebrating birthday at 12 o clock is unfortunate know why

आज कल समाज में एक अजीब सी प्रथा चल पड़ी है जो है रात 12 बजे शुभकामनाएं देकर जन्मदिन आदि मनाने की। लेकिन क्या आपको पता है भारतीय शास्त्र इसे गलत मानता है। आज हम आपको यही  बताने जा रहे हैं कि वास्तव में ऐसा करने से कितना बड़ा अनिष्ट हो सकता है।

आज कल समाज में एक अजीब सी प्रथा चल पड़ी है जो है रात 12 बजे शुभकामनाएं देकर जन्मदिन आदि मनाने की। लेकिन क्या आपको पता है हिंदू शास्त्र इसे गलत मानता है। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि वास्तव में ऐसा करने से कितना बड़ा अनिष्ट हो सकता है।

 

आजकल किसी का बर्थडे हो, शादी की सालगिरह (एनिवर्सरी )हो या फिर कोई और अवसर क्यों ना हो, रात के 12 बजे केक काटना लेटेस्ट फैशन बन गया है। लोग इस बात को लेकर उत्साहित रहते हैं कि रात को बारह बजे केक काटना है या दोस्तों यारों का जन्मदिन रात के बारह बजे ही सेलिब्रेट करना है। लेकिन वास्तव में अंग्रेजी तिथि अनुसार बर्थडे या एनिवर्सरी मनाना किसी के लिए भी शुभ नहीं है। इसके पीछे कुछ ऐसे कारण है, जिनका सीधा संबंध हमारे शास्त्रों से हैं।

 

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग अपना जन्मदिन 12 बजे यानि निशीथ काल (प्रेत काल) में मनाते हैं। निशीथ काल रात्रि को वह समय है जो समान्यत: रात 12 बजे से रात 3 बजे की बीच होता है। आमजन इसे मध्यरात्रि या अर्ध रात्रि काल कहते हैं। शास्त्रनुसार यह समय अदृश्य शक्तियों, भूत व पिशाच का काल होता है। इस समय में यह शक्ति अत्यधिक रूप से प्रबल हो जाती हैं।


हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। जन्मदिन की पार्टी में अक्सर मदिरा व मांस का चलन होता है। ऐसे में प्रेतकाल में केक काटकर, मदिरा व मांस का सेवन करने से अदृश्य शक्तियां व्यक्ति की आयु व भाग्य में कमी करती हैं और दुर्भाग्य उसके द्वार पर दस्तक देता है। साल के कुछ दिनों को छोड़कर जैसे दीपावली, 4 नवरात्रि, जन्माष्टमी व शिवरात्रि पर निशीथ काल महानिशीथ काल बन कर शुभ प्रभाव देता है जबकि अन्य समय में दूषित प्रभाव देता है।

 

शास्त्रों के अनुसार रात के समय दी गई शुभकामनाएं प्रतिकूल फल देती हैं
हिंदू शास्त्रों के अनुसार दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही होती है और यही समय ऋषि-मुनियों के तप का भी होता है। इसलिए इस कला में वातावरण शुद्ध और नकारात्मकता विहीन होता है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय होने के बाद ही व्यक्ति को बर्थडे विश करना चाहिए क्योंकि रात के समय वातावरण में रज और तम  कणों की मात्रा अत्याधिक होती है और उस समय दी गई बधाई या शुभकामनाएं फलदायी ना होकर प्रतिकूल बन जाती हैं।

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