सांस्कृतिक और राजनीतिक ही नहीं पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है ये स्थल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jul, 2017 10:48 AM

center of attraction for cultural and political tourists

जहांगीर तथा अकबर के शासन काल में यहां कई निर्माण कार्य पूरे किए गए थे। धार्मिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए अकबर ने हिन्दू तीर्थ प्रयाग को मुसलमानों के लिए भी महत्त्वपूर्ण बनाने के

जहांगीर तथा अकबर के शासन काल में यहां कई निर्माण कार्य पूरे किए गए थे। धार्मिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए अकबर ने हिन्दू तीर्थ प्रयाग को मुसलमानों के लिए भी महत्त्वपूर्ण बनाने के उद्देश्य से इसका नया नाम अगाहाबाद रखा जो काल क्रम से बिगड़ता हुआ अब इलाहाबाद हो गया। संगम-नगरी प्रयाग दुनिया के प्राचीन नगरों में से एक है। इसका उद्भव और विकास गंगा तट पर रामायण युग में महाराजा नहुष तथा उनके वंशधरों द्वारा हुआ। संतों तथा महर्षियों ने यहां अपना निवास बनाया, जिनमें भारद्वाज, अगस्त्य, च्यवन आदि मुख्य थे। महान सम्राट अशोक ने भी यश शिलालेख तथा र्कीत स्तंभ का निर्माण कराया जो अब भी गंगा किनारे स्थित किले के अन्दर मौजूद है।


भारतीय इतिहास के मध्यकाल में मुगलों के आने के साथ इस नगर में भी एक-एक कर अनेक बदलाव आए। जहांगीर तथा अकबर के शासन काल में यहां कई निर्माण कार्य पूरे किए गए थे। धार्मिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए अकबर ने हिन्दू तीर्थ प्रयाग को मुसलमानों के लिए भी महत्वपूर्ण बनाने के उद्देश्य से इसका नया नाम अगाहाबाद रखा जो काल क्रम से बिगड़ता हुआ अब इलाहाबाद हो गया। उत्तर प्रदेश की राजधानी अभी लखनऊ है लेकिन इलाहाबाद कई कारणों से प्रदेश का मुख्य नगर है तथा हाईकोर्ट की स्थापना भी यहीं की गई है।


दर्शनीय स्थान- ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक नगर के रूप में मशहूर इलाहाबाद पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र रहा है। नदियों के संगम स्थल के अलावा विश्वविद्यालय, खुसरो बाग, आनंद भवन, अक्षयवट, भारद्वाज आश्रम, किला तथा अनेक सुन्दर पार्क यहां पर दर्शकों को लुभाते हैं।


त्रिवेणी संगम
यहां गंगा-यमुना की जल धाराओं का सुन्दर मिलन है, साथ ही सरस्वती भी गुप्त रूप से यहां मिलती है। दिन में संगम स्थल पर गंगा-यमुना का संगम मनमोहक है। गंगा की श्वेत धारा में दूसरी ओर से यमुना की श्यामल धारा का रंग साफ दिखाई पड़ता है। यही है गंगा-यमुना मिलन का स्नेह संयोग।


किला
इलाहाबाद में गंगा तट के साथ मुगलों द्वारा बनाया किला है। मुगल निर्माण कला के साथ इसमें मंदिर तथा अशोक स्तंभ दर्शनीय हैं।


आनंद भवन
आनंद भवन नामक यह पुराना बंगलानुमा मकान नेहरू परिवार का निवास था, जहां स्वतंत्रता संग्राम पर चर्चा तथा नीति निर्णय होते थे। अब यह एक राष्ट्रीय धरोहर है।
गंगा तट पर स्थित इलाहाबाद में कई मंदिर तथा घाट हैं जहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है। इनमें वेणीमाधव मंदिर, भारद्वाज आश्रम, हनुमान मंदिर अलोपी माता मंदिर मुख्य हैं।


प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन केवल धार्मिक समारोह नहीं है बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सम्मेलन का माध्यम हैं। यहां पर दूर-दूर से नाच गाने, नाटक तथा भजन मंडलियां आती हैं जो लोगों में उमंग और उत्साह भर देती है। धार्मिक समुदायों के प्रधानों, शंकराचार्यों, महामंडलेश्वरों तथा सुप्रसिद्ध संतों के वचनामृत सुनने का सुअवसर प्राप्त होता है।     

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