चैत्र नवरात्रि की चौथी देवी कुष्मांडा देंगी नौकरी में प्रमोशन का वरदान

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 20 Mar, 2018 10:56 AM

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बुधवार दि॰ 21.03.18 चैत्र शुक्ल चतुर्थी के उपलक्ष्य में दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कुष्मांडा का पूजन किया जाएगा। देवी कुष्मांडा सूर्य ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। शास्त्रों ने इनके स्वरूप को “प्रज्वलित प्रभाकर” कहा है।

बुधवार दि॰ 21.03.18 चैत्र शुक्ल चतुर्थी के उपलक्ष्य में दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कुष्मांडा का पूजन किया जाएगा। देवी कुष्मांडा सूर्य ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। शास्त्रों ने इनके स्वरूप को “प्रज्वलित प्रभाकर” कहा है। देवी कुष्मांडा मनुष्य के विवाहित जनक स्वरूप को संबोधित करती हैं। वीर मुद्रा में सिंहरूड़ा देवी कुष्मांडा सुवर्ण से सुशोभित हैं। शास्त्रानुसार जब जगत अस्तित्व विहीन था, तब देवी कुष्मांडा ने ब्रह्माण्ड की संरचना की थी। अतः कुष्मांडा ही सृष्टि की आदिस्वरूपा शक्ति हैं। शास्त्रों में इनका निवास सूर्यमंडल के मध्य लोक में कहा गया है। ब्रह्माण्ड में अवस्थित तेज इन्हीं से है। शास्त्रों ने इन्हें अष्टभुजा देवी कहा है। इनके हाथों में कमल, कमंडल, अमृतपूर्ण कलश, धनुष, बाण, चक्र, गदा और कमलगट्टे की जापमाला है। 


देवी कुष्मांडा की साधना का संबंध सूर्य से है। कालपुरूष सिद्धांतानुसार कुष्मांडा का संबंध कुंडली के पंचम व नवम भाव से है। अतः देवी कुष्मांडा की साधना का संबंध व्यक्ति की सेहत, मानसिकता, व्यक्तित्व, रूप, विद्या, प्रेम, उद्दर, भाग्य, गर्भाशय, अंडकोष व प्रजनन तंत्र से है। 


वास्तु शास्त्र के अनुसार देवी कुष्मांडा की दिशा पूर्व है। इनकी पूजा का श्रेष्ठ समय हैं सूर्योदय। इनकी पूजा लाल रंग के फूलों से करनी चाहिए। इन्हें सूजी से बने हलवे का भोग लगाना चाहिए व श्रृंगार में इन्हें रक्त चंदन प्रिय है। इनकी साधना उन लोगों को सर्वश्रेष्ठ फल देती है जिनकी आजीविका राजनीति, प्रशासन हो। इनकी साधना से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है, प्रोफैशन में सफलता मिलती है, नौकरी में प्रमोशन मिलता है।


विशेष पूजन विधि: पूर्वमुखी होकर लाल वस्त्र पर देवी कुष्मांडा का चित्र स्थापित करके विधिवत दशोपचार पूजन करें। तांबे के दिए गौघृत का दीप करें, चंदन से धूप करें, बिल्वपत्र चढ़ाएं, रक्त चंदन चढ़ाएं, सेब का फलहार चढ़ाएं, गुड़ का भोग लगाएं तथा रुद्राक्ष माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें।


पूजन मुहूर्त: शाम 15:40 से शाम 16:40 तक।
पूजन मंत्र: ॐ कूष्माण्डायै देव्यै: नमः॥


उपाय
नौकरी में प्रमोशन हेतु कुष्मांडा पर चढ़ा 1 रू का सिक्का पर्स में रखें।

संतानहीनता से मुक्ति हेतु कोंहड़ा नाभि से वारकर कूष्मांडा पर चढ़ाएं।

प्रोफैशन में सफलता हेतु कुष्मांडा पर चढ़े 10 जायफल भिखारी को दान करें। 


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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