Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jun, 2017 03:17 PM
हर व्यक्ति के जीवन मित्रों के साथ-साथ शत्रु भी होते हैं। शत्रु कभी नहीं चाहता कि उसके सामने वाला उससे अधिक खुशहाल जीवन यापन करे। शत्रु दूसरों को दुख पहुंचाने
हर व्यक्ति के जीवन मित्रों के साथ-साथ शत्रु भी होते हैं। शत्रु कभी नहीं चाहता कि उसके सामने वाला उससे अधिक खुशहाल जीवन यापन करे। शत्रु दूसरों को दुख पहुंचाने के लिए कोई भी अवसर नहीं छोड़ते। ऐसे में यदि शत्रु की कमजोरियों के बारे में जान लिया जाए तो खुशहाल जीवन यापन किया जा सकता हैं। चाणक्य के अनुसार इस विधि द्वारा ही व्यक्ति शत्रु की कमियों को जान सकते हैं।
मंत्रचक्षुषा परछिद्राण्यवलोकयन्ति।
अर्थ: मंत्रणा रूपी आंखों से शत्रु के छिद्रों अर्थात उसकी कमजोरियों को देखा-परखा जाता है।
भावार्थ: एक राजा अपने कुशल और चतुर मंत्रियों से विचार-विमर्श करके शत्रु पक्ष की कमियों को जान लेता है।