चाणक्य नीति: कार्य करते समय खुद में न लाएं ये अवगुण, मिलेगी असफलता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 11:51 AM

chanakya niti

आचार्य चाणक्य का जन्म आज से करीब 1400 वर्ष पूर्व हुआ था। उन्होंने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों का उल्लेख ‘चाणक्य नीति’ में किया। चाणक्य नीति 17 अध्यायों

आचार्य चाणक्य का जन्म आज से करीब 1400 वर्ष पूर्व हुआ था। उन्होंने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों का उल्लेख ‘चाणक्य नीति’ में किया। चाणक्य नीति 17 अध्यायों का ग्रंत हैं। आचार्य चाणक्य को राजनीति एवं कूटनीति में संपन्न अौर अर्थशास्त्र के विद्वान माना जाता है। उन्होंने अपने ज्ञान को स्वयं तक सीमित न रखकर चाणक्य नीति में लिखकर अपनी आने वाली पीढ़ियों को दिया। उनकी नीतियां जीवन में मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए प्रयोग की जा सकती हैं। राजनीति अौर अर्थशास्त्र के पितामाह आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में जीवन से संबंधित प्रत्येक पहलुअों का वर्णन किया है। चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को कार्य करते समय स्वयं में ऐसे अवगुण नहीं लाने चाहिए। 

कार्यान्तरे दीर्घसूत्रिता न कर्त्तव्या।

भावार्थ: जो राजा कार्य को लंबा खींचता है और आलस्य के वशीभूत होकर उसे टालता रहता है उसका कार्य कभी पूरा नहीं होता।


 

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