जब भाग्य हो विपरीत तो ध्यान रखें आचार्य चाणक्य की ये सीख

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2017 11:30 AM

chanakya niti

चाणक्य महान विद्वानों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ स्थान रखते हैं। उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना करके अखण्ड भारत का निर्माण किया था। आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी

चाणक्य महान विद्वानों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ स्थान रखते हैं। उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना करके अखण्ड भारत का निर्माण किया था। आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य की नीतियों में उत्तम जीवन का निर्वाह करने के बहुत से रहस्य समाहित हैं, जो आज भी उतने ही कारगर सिद्ध होते हैं। जितने कल थे। इन नीतियों को अपने जीवन में अपनाने से बहुत सारी समस्याओं से बचा जा सकता है और साथ ही, उज्जवल भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। चाणक्य के अनुसार जब भाग्य विपरीत हो तो आचार्य की इस बात पर अमल करना चाहिए।

दैवहीनं कार्य सुसाध्यमपि दु:साध्यं भवति।

भावार्थ: कभी-कभी किसी कार्य को अच्छा समझ कर प्रारंभ किया जाता है परन्तु यदि दैव अर्थात भाग्य विपरीत हो तो वह अच्छा कार्य भी लोक-निंदा का कारण बन जाता है, कष्ट देने वाला बन जाता है। यहां चाणक्य ने उसे कठिनाई देने वाला ही कहा है, उसे असंभव नहीं बताया है। अत: पुरुषार्थी व्यक्ति कठिन स्थितियों में भी कार्य को पूरा करने की सामर्थ्य रखते हैं।


 

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