Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 12:06 PM
आचार्य चाणक्य बहुत महान विद्वान थे। उन्होंने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों का उल्लेख चाणक्य नीति में किया। उनकी नीतियां जितनी पहले समय में कारगर
आचार्य चाणक्य बहुत महान विद्वान थे। उन्होंने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों का उल्लेख चाणक्य नीति में किया। उनकी नीतियां जितनी पहले समय में कारगर थी उतनी ही आज भी हैं। चाणक्य नीतियों पर अमल करने से व्यक्ति खुशहाल जीवन यापन करता है। अाचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में जीवन के कुछ कटु सत्यों का उल्लेख किया है जो व्यक्ति को सत्यता से अवगत करता हैं। ये नीतियां व्यक्ति को बर्बादी से भी बचाती हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को जरूरत से अधिक ईमानदार नहीं होना चाहिए। जिस प्रकार सबसे पहले सीधे तने वाले पेड़ ही काटे जाते हैं, उसी प्रकार जीवन में ईमानदार लोगों को ही सबसे अधिक कष्ट झेलने पड़ते हैं।
लोगों को अपने रहस्य किसी को भी नहीं बताने चाहिए। ये आदत उसकी बर्बादी का कारण बन सकती है क्योंकि दूसरा व्यक्ति आपके रहस्य जानकर कार्यों में बाधा पैदा कर सकता है।
ऐसा धन जो बहुत कष्ट झेलने के बाद, अपना धर्म-ईमान छोड़ने, दूसरों की चापलूसी करने अौर उनकी सता स्वीकारने के बाद मिले उसे स्वीकारना नहीं चाहिए।
चाणक्य के अनुसार हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता है। अधिकतर लोग अपने स्वार्थ के लिए ही दूसरों से मित्रता करते हैं। यह कटु सत्य है लेकिन यही सत्य है।
व्यक्ति को अपने बच्चों को 5 साल तक अच्छे से प्यार-दुलार से रखना चाहिए। उसके अगले 5 सालों तक अपनी निगरानी में रखना चाहिए। जब बच्चा 16 साल का हो जाए तो उसके साथ मित्रता कर लेनी चाहिए।
लालची आदमी को कोई उपहार भेंट कर, कठोर व्यक्ति को हाथ जोड़कर, मूर्ख को सम्मान देकर अौर विद्वानों को सच बोलकर ही संतुष्ट किया जा सकता है।