दुष्टों में भी साधुता का भाव पैदा करती है अच्छी संगति

Edited By ,Updated: 15 Oct, 2015 12:37 PM

chankya neeti

अच्छी संगति से दुष्टों में भी साधुता आ जाती है। उत्तम लोग दुष्ट के साथ रहने के बाद भी नीच नहीं होते। फूल की सुगंध को मिट्टी तो ग्रहण कर लेती है...

सत्संगाद् भवति हि साधुता खलाना,
साधूनां न हि खलसंगयात् खलत्वम्।
आमोदं कुसुम-भवं मृदेव धत्ते,
मृद्गन्धं न हि कुसुमानि धारयन्ति।। 

भावार्थ:अच्छी संगति से दुष्टों में भी साधुता आ जाती है। उत्तम लोग दुष्ट के साथ रहने के बाद भी नीच नहीं होते। फूल की सुगंध को मिट्टी तो ग्रहण कर लेती है पर मिट्टी की गंध को फूल ग्रहण नहीं करता।।7।।

भाव यह है कि जिस प्रकार मिट्टी फूल की खुशबू तो ग्रहण कर लेती है परंतु मिट्टी की गंध को फूल ग्रहण नहीं करते उसी प्रकार सत्संगति का प्रभाव दुष्ट पर पड़ता है पर दुष्टता का प्रभाव साधु लोगों पर नहीं पड़ता।

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