चाणक्य नीति: मूर्ख व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु होता है ज्ञानी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 05:43 PM

chankya niti about enemy

पति-पत्नी का रिश्ता इस दुनिया का सबसे खास रिश्ता होता है। कहा जाता हैं की जोड़िया स्वर्ग में बनती है और धरती पर उनका मिलन होता हैं। पति-पत्नी के रिश्ते को सारे रिश्तो में से सबसे अलग माना जाता हैं।

पति-पत्नी का रिश्ता इस दुनिया का सबसे खास रिश्ता होता है। कहा जाता हैं की जोड़िया स्वर्ग में बनती है और धरती पर उनका मिलन होता हैं। पति-पत्नी के रिश्ते को सारे रिश्तो में से सबसे अलग माना जाता हैं। लेकिन ये रिश्ता आपसी तालमेल और एक-दूसरे को समझने की क्षमता के आधार पर ही सुखद हो सकता है। जिन घरों में इस बात की कमी रहती है, वहां अशांति और दुख का वातावरण सदैव बना रहता है। जब अशांति और मानसिक तनाव बढ़ता है तो पति और पत्नी, एक-दूसरे को अपना शत्रु समझने लगते हैं। आचार्य चाणक्य ने पति-पत्नी के लिए एक नीति में बताया है कि कब किसी पत्नी के लिए उसका पति ही सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है। 


आचार्य चाणक्य कहते हैं-
लुब्धानां याचक: शत्रु: मूर्खाणां बोधको रिपु:।।
जारस्त्रीणां पति: शत्रुश्चौराणां चंद्रमा: रिपु:।।


लोभी का शत्रु है याचक यानी मांगने वाला
लोभी यानी बहुत लालची व्यक्ति, उसका पूरा मोह धन में ही रहता है। ऐसे लोगों अपनी जान से भी अधिक स्नेह धन से रखते हैं। यदि इन लोगों के घर कोई धन मांगने वाला आ जाए तो ये याचक को किसी शत्रु के समान ही देखते हैं। दान-पुण्य के कर्म इन्हें व्यर्थ लगते हैं।


बुरे चरित्र वाली स्त्री का शत्रु है उसका पति
इस श्लोक में आचार्य ने बताया है कि यदि कोई स्त्री बुरे चरित्र वाली है, अधार्मिक कर्म करने वाली है, पराए पुरुषों के प्रति आकर्षित होने वाली है तो उसका पति ही सबसे शत्रु होता है। अधार्मिक कर्म वाली स्त्री को पति ऐसे काम करने से रोकता है तो वह उसे शत्रु समझने लगती है। यदि पति या पत्नी, दोनों में से कोई भी एक बुराइयों से ग्रसित है तो दूसरे को भी इसके बुरे परिणाम झेलना पड़ते हैं। पत्नी की गलतियों की सजा पति को भुगतनी पड़ती है और पति की गलतियों की सजा पत्नी को। इसी वजह से वैवाहिक जीवन में पति और पत्नी, दोनों को समझदारी के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए।

 
मूर्ख का शत्रु है उपदेश देने वाला

जो लोग जड़ बुद्धि होते हैं यानी मूर्ख होते हैं, वे ज्ञानी लोगों को शत्रु मानते हैं। मूर्ख व्यक्ति के सामने यदि कोई उपदेश देता है तो वे ज्ञानी को ऐसे देखते हैं, जैसे सबसे बड़ा शत्रु हो। ज्ञान की बातें मूर्ख व्यक्ति को चूभती हैं, क्योंकि वह इन बातों पर अमल नहीं कर सकता है। मूर्ख का स्वभाव उसे ज्ञान से दूर रखता है।


चोर का शत्रु है चंद्रमा
चोर अपना काम रात के अंधेरे में ही करते हैं, क्योंकि अंधकार में उन्हें कोई पहचान नहीं पाता है। अंधेरे में चांद उन्हें शत्रु के समान दिखाई देता है, क्योंकि चंद्रमा की चांदनी से अंधकार दूर हो जाता है। चोर चांदनी रात में भी आसानी से चेारी नहीं कर पाते हैं, इसी वजह से वे चंद्रमा को ही शत्रु मानते हैं।
 

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