Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Feb, 2018 03:21 PM
अक्सर व्यक्ति किसा नए काम को करने के लिए बहुत उत्साहित होता है, जिसके कारण वो बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में अपने हाथों ही काम बिगाड़कर बाद में पछताता है। इस संदर्भ में आचार्य चाणक्य द्वारा एक नीति रचित है
अक्सर व्यक्ति किसा नए काम को करने के लिए बहुत उत्साहित होता है, जिसके कारण वो बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में अपने हाथों ही काम बिगाड़कर बाद में पछताता है। इस संदर्भ में आचार्य चाणक्य द्वारा एक नीति रचित है, जिसमें उन्होंने बताया है कि बिना विचार किए काम करने वाला इंसान किसी मूर्ख व्यक्ति से कम नहीं होता। आगे पढ़े चाणक्य का श्लोक-
श्लोक-
अपरीक्ष्यकारिण श्री: परित्यजति।
अर्थात: विचार न करके कार्य करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी त्याग देती है। जो राजा बिना विचार किए कार्य प्रारंभ कर देता है, उसे अंत में असफलता ही हाथ लगती है और इस प्रकार उसकी धन-सम्पत्ति का विनाश हो जाता है।