छत्रपति शिवाजी के जन्मदिन पर जानें, उनके द्वारा फतह किए किलों की दास्तां

Edited By ,Updated: 18 Feb, 2017 01:11 PM

chhatrapati shivaji birthday

मराठा साम्राज्य की पताका फहराने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी को हुआ था। मुगल सम्राट

मराठा साम्राज्य की पताका फहराने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी को हुआ था। मुगल सम्राट औरंगजेब को अपनी बहादुरी से झुका देने वाले शिवाजी का नाम देश के योद्धाओं में शुमार है। 


शिवनेरी किला- छत्रपति शिवाजी का जन्म इसी किले में हुआ था। शिवनेरी किला, महाराष्ट्र के पुणे के पास जुन्नर गांव में है। इस किले के भीतर माता शिवाई का मंदिर है, जिनके नाम पर शिवाजी का नाम रखा गया था। इस किले में मीठे पानी के दो स्रोत हैं जिन्हें लोग गंगा-जमुना कहते हैं। लोगों का कहना है कि इनसे साल भर पानी निकलता रहता है। किले के चारों ओर गहरी खाई है। जिससे शिवनेरी किले की सुरक्षा होती थी। इस किले में कई गुफाएं हैं जो अब बंद पड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि इन गुफाओं के अंदर ही शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली थी। 


पुरंदर का किला- पुरंदर का किला पुणे से 50 किलोमीटर की दूरी पर सासवाद गांव में है। इसी किले में दूसरे छत्रपति सांबाजी राजे भोंसले का जन्म हुआ था। सांबाजी छत्रपति शिवाजी के बेटे थे। शिवाजी ने पहली जीत इसी किले पर कब्जा करके की थी। मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1665 में इस किले पर कब्जा कर लिया था, जिसे महज पांच सालों बाद शिवाजी ने छुड़ा लिया और पुरंदर के किले पर मराठा झंडा लहरा दिया था। इस किले में एक सुरंग है जिसका रास्ता किले से बाहर की ओर जाता है। इस सुरंग का इस्तेमाल युद्ध के समय शिवाजी बाहर जाने के लिए किया करते थे। 


रायगढ़ का किला- रायगढ़ का किला छत्रपति शिवाजी की राजधानी की शान रही है। उन्होंने 1674ई. में इस किले को बनवाया था। मराठा साम्राज्य का नरेश बनने पर लंबे समय तक रायगढ़ किला उनका निवास स्थान बना रहा। रायगढ़ किला समुद्र तल से 2,700 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस किले तक पहुंचने के लिए करीब 1737 सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। रायगढ़ किले पर 1818 ई. में अंग्रेजों ने कब्जा जमा लिया और किले में जमकर लूटपाट मचाकर इसके काफी हिस्सों को नष्ट कर दिया।


सिंधुदुर्ग- छत्रपति शिवाजी ने सिंधुदुर्ग किले का निर्माण कोंकण तट पर कराया था। मुंबई से 450 किलोमीटर दूर कोंकण के पास ‘सिंधुदुर्ग’ किला है। इस किले को बनने में तीन साल का समय लगा था। ‘सिंधुदुर्ग’ किला 48 एकड़ में फैला हुआ है। किले का बाहरी दरवाजा इस तरह बनाया गया है कि सूई भी अंदर नहीं जा सकती। 


सुवर्णदुर्ग- सुवर्णदुर्ग किले को गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। शिवाजी ने इस किले पर 1660ई. में कब्जा किया था।  उन्होंने अली आदिल शाह द्वितीय को हराकर सुवर्णदुर्ग को मराठा साम्राज्य में मिला दिया था। समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए इस किले पर कब्जा किया गया था। इसी किले में शिवाजी के बाद के राजाओं ने मराठा जल सेना भी बनाई थी। इस किले के जरिए मराठों ने कई समुद्री आक्रमणों को रोका।


लोहगढ़दुर्ग- लोहगढ़दुर्ग में मराठा साम्राज्य की संपत्ति रखी जाती थी। यह पुणे से 52 किलोमीटर दूर लोनावाला में स्थित है। कहा जाता है कि सूरत से लूटी गई संपत्तियों को भी यहीं रखा गया था। मराठा के मातहत पेशवा नाना फड़णवीस ने लंबे समय तक लोहगढ़दुर्ग को अपना निवास स्थान बनाया था। 


अर्नाला का किला- अर्नाला किला महाराष्ट्र के वसई गांव में है। यह मुंबई से 48 किलोमीटर दूरी पर है। बाजीराव के भाई चीमाजी अप्पा ने इस पर कब्जा कर लिया था। हालांकि, इस युद्ध में काफी लोगों को मराठों ने खोया था। 1802ई में पेशवा बाजीराव द्वितीय ने संधि कर ली। इसके बाद अर्नाला का किला अंग्रेजों के प्रभुत्व में आ गया। इस किले से गुजरात के सुल्तान, पुर्तगाली, अंग्रेज और मराठाओं ने शासन किया है। अर्नाला किला तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। 


प्रतापगढ़ किला- महाराष्ट्र के सतारा में स्थित प्रतापगढ़ किला छत्रपति शिवाजी के शौर्य की कहानी बताता है। इस किले को प्रतापगढ़ में हुए युद्ध से भी जाना जाता है। शिवाजी ने नीरा और कोयना नदियों के तटों और पार दर्रे की सुरक्षा के लिए यह किला बनवाया था। 1656 में प्रतापगढ़ का किला बनकर तैयार हुआ था। इस किले से 10 नवम्बर, 1656 को छत्रपति शिवाजी और अफजल खान के बीच युद्ध हुआ था जिसमें शिवाजी की जीत हुई थी। प्रतापगढ़ किले की इस जीत को मराठा साम्राज्य के लिए नींव माना जाता है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!