समाज का निर्माण इस तरह करें कि जी सकें सुखमय एवं शांतिमय जीवन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 10:50 AM

create a society that can live a happy and peaceful life

मनुष्य समाज का निर्माण इस प्रकार से हुआ है कि उसमें परस्पर मिल-जुलकर रहने और सद्भावों की स्थिरता होने से ही जीवन क्रम का ठीक प्रकार चलते रह सकना संभव हो सकता है। इसीलिए यह देखा गया है कि जिस

मनुष्य समाज का निर्माण इस प्रकार से हुआ है कि उसमें परस्पर मिल-जुलकर रहने और सद्भावों की स्थिरता होने से ही जीवन क्रम का ठीक प्रकार चलते रह सकना संभव हो सकता है। इसीलिए यह देखा गया है कि जिस व्यक्ति के जितने अधिक स्नेही, मित्र, स्वजन और सहयोगी होंगे, वह उतना ज्यादा प्रसन्न रहेगा और उतनी ही प्रगति भी करेगा और जो व्यक्ति शत्रुओं से घिरा रहता है, जिसे चारों ओर से निंदा, उपेक्षा एवं तिरस्कार ही प्राप्त होता है, उसके लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति कर सकना संभव ही नहीं। तभी तो ऐसा कहते हैं कि आपने जीवन में कितना धन कमाया वह महत्वपूर्ण नहीं है, परन्तु आपके जीवन में कितने लंबे समय तक टिकने वाले संबंध आपने बनाए वह महत्वपूर्ण है। 

कहने का भाव यह है कि यदि हम धन और अन्य विनाशी चीजों के पीछे भागने के बजाय अच्छे और सच्चे संबंधों में अपना समय निवेश करें तो हमारा जीवन काफी लाभदायक बन सकता है। कहते हैं कि सुख यदि अपने स्नेहियों के साथ मिलकर बांट लिया जाता है तो उसका आनंद दोगुना हो जाता है और दुख के समय यदि अपने स्नेहियों का साथ मिल जाता है तो दुख आधा हो जाता है। किन्तु अफसोस, भौतिकता की दौड़ ने लोगों की मानसिकता एवं मान्यताओं को इस कदर बदल दिया है कि रिश्तों की अहमियत पर आज जैसे प्रश्नचिन्ह लग गया है। आज की नई पीढ़ी सामाजिक परंपराओं को रूढि़वादिता मानकर उन्हें बड़ी आसानी के साथ नजरअंदाज करने लगी है। संयुक्त परिवार की ‘हम’ की भावना अब एकल परिवार में ‘मैं’ में बदल चुकी है।

आधुनिक समाज में जीने वाले माता-पिता एवं शिक्षकों का दायित्व यह होना चाहिए कि वे प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपने बच्चों को उच्च शिक्षित करने से पहले संस्कारों का पाठ पढ़ाएं और उनके जीवन विकास की धरती में नैतिकता का बीजारोपण करें। यदि समाज में से संबंधों की मिठास को खत्म कर दिया गया तो संपूर्ण समाज विषैला बन जाएगा। अत: समझदारी इसी में है कि हम आने वाली पीढ़ी को परस्पर स्नेह संबंध रखना सिखाएं, ताकि वे सुखमय एवं शांतिमय जीवन जी सकें।

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