मार्कण्डेय पुराण: रोज करें ये 3 काम, होगी मोक्ष की प्राप्ति

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 12:18 PM

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आप लोगों ने कई ऋषियों और महर्षियों के नाम सुने होंगे, जिनके जीवन से हमें कई प्रेरणाएं मिलती हैं। महर्षियों का जीवन एेसे दौर से गुजरता है जिसमें वें इतना संघर्ष करते हैं कि एक महान व्यक्तित्व बन जाते हैं।

आप लोगों ने कई ऋषियों और महर्षियों के नाम सुने होंगे, जिनके जीवन से हमें कई प्रेरणाएं मिलती हैं। महर्षियों का जीवन एेसे दौर से गुजरता है जिसमें वें इतना संघर्ष करते हैं कि एक महान व्यक्तित्व बन जाते हैं। ऐसे ही एक महर्षि थे मार्कण्डेय ऋषि। मार्कण्डेय ऋषि केवल सोलह वर्ष कि आयु भाग्य में लेकर जन्मे थे। लेकिन अपनी भक्ति और श्रद्धा के बल पर वे चिरंजीवी हो गए। 


महर्षि मार्कण्डेय भगवान विष्णु और भगवान शिव के परम भक्त थे। महर्षि मार्कण्डेय का वर्णन कई पुराणों और ग्रंथों में पाया जाता है। महर्षि नें व्यक्ति के जीवन को सही ढंग से चलाने के लिए और पुण्य प्राप्त करने के लिए  मार्कण्डेय पुराण में कई नीतियां बताई हैं। यदि व्यक्ति इनका पालन करें तो वे अपनी जीवनशैली में कई लाभ प्राप्त कर सकता है। आगे जानें महर्षि मार्कण्डेय द्वारा बताए गए, तीन ऐसे काम बताए हैं, जिन्हें करना सबसे अच्छा माना गया है और इनको करन से अवश्य शुभ फल की प्राप्ति होती है।


श्लोक
पुण्यतीर्थाभिषेकं च पवित्राणां च कीर्तनम्।
सद्धिः सम्भाषणं चैव प्रशस्तं कीत्यते बुधैः।।


अर्थात- पुण्य तीर्थों में स्नान, पवित्र वस्तुओं का नाम लेना और सत्पुरुषों के साथ बातें करना- ये काम सबसे उत्तम (अच्छे) बताए गए है।


तीर्थों में स्नान
कहा जाता है कि तीर्थ स्थानों पर स्वयं देवताओं का निवास होता है। पुराणों इस बात का वर्णन किया गया है कि किसी भी तीर्थ स्थानों पर जाना, वहां जाकर पूजा-पाठ करना और वहां के कुंड में स्नान करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीर्थों में स्नान करना समस्त पुण्य कर्म करने से उच्च माना जाता है। 

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पवित्र वस्तुओं का नाम लेना
गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध (दूध), गोशाला हवन, पूजन, तुलसी, मंदिर, अग्नि, पुराण, ग्रंथ ऐसी अनक वस्तुए हैं जिन्हें हिंदू धर्म के अनुसार पावन माना जाता है। इन वस्तुओं का सेवन करने का बहुत महत्व माना जाता है, लेकिन कई लोग एेसा करने से हिचकिचाते हैं और एेसा नहीं कर पाते। तो यदि एेसे लोग केवल इन पवित्र वस्तुओं के नाम ही ले लें तो उन्हें पुण्य की प्राप्ति हो सकती है। लेकिन ध्यान रहे कि इनका उच्चारण करते समय मन में पावन भाव और विचारों का होनी भी अति अावश्यक माना जाता है। इससे निश्चित ही शुभ फल मिलता है।

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सत्पुरुषों के साथ बातें करना
सत्पुरुष यानी विद्वान, ज्ञानी, चरित्रवान और सत्यवादी इंसान। हर मनुष्य को अपने जीवन में सफलता पाने के लिए सही राह की जरुरत होती है। मनुष्य को यह सही राह विद्वान या ज्ञानी पुरुषों के द्वारा दिखाई जा सकती है। जिस व्यक्ति को सही-गलत, अच्छे-बुरे, धर्म-अधर्म का ज्ञान होता है, हमें उसका आदर करना चाहिए। ऐसे लोगों से बातें करके हम अपने हित की बात जान सकते हैं। मनुष्य को हमेशा ही विद्वान और ज्ञानी लोगों का सम्मान करना चाहिए और उनकी बताई हुई राह पर चलना चाहिए।

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