दीपावली का पर्व दिलाता है महान लोगों के जीवन से जुड़ी घटनाओं का स्मरण

Edited By ,Updated: 30 Oct, 2016 01:47 PM

diwali  mahavir swami  dayanand saraswati  ramtirth  adi shankaracharya  lord buddha

दीपावली प्रकाश पर्व होने के साथ-साथ खुशियों और उमंगों का पर्व है। यह पर्व हमें न सिर्फ अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संदेश देता है बल्कि हमें अनेक महान

दीपावली प्रकाश पर्व होने के साथ-साथ खुशियों और उमंगों का पर्व है। यह पर्व हमें न सिर्फ अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संदेश देता है बल्कि हमें अनेक महान विभूतियों के जीवन से जुड़ी महान घटनाओं का स्मरण दिलाकर उनके द्वारा आलोकित पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है। 

 

दीवाली के महावीर स्वामी
जैन धर्म के प्रवर्तक श्री महावीर स्वामी वैशाली के राज परिवार में जन्मे थे। बचपन में उनको वर्धमान नाम से पुकारा जाता था। अकूत धन-संपत्ति होने के बावजूद वर्धमान का भौतिक सुखों में भी जी नहीं लगा, इसलिए 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने आत्मज्ञान की लालसा में घर छोड़ दिया। अविराम 12 वर्ष तक भ्रमण करने पर उन्हें आत्मबोध महसूस हुआ। महावीर के सिद्धांतों की प्रासंगिकता सार्वकालिक है। बिहार की पावापुरी में उन्हें 72 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त हुआ।

 

स्वामी दयानंद सरस्वती 
‘सत्यार्थ प्रकाश’ के रचयिता और आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती को स्वामी विरजानंद से ज्ञान का मूल मंत्र मिला। इनके समय में हिन्दू धर्म में अनेक सामाजिक कुरीतियां, अंधविश्वास और आडम्बर व्याप्त थे। उन्होंने इन कुरीतियों से जनता को सचेत किया और वैदिक संस्कृति का पक्ष लिया। राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद करने और समाज में जागृति लाने वाला यह महापुरुष दीपावली के दिन हमसे सदा के लिए बिछुड़ गया।

 

स्वामी रामतीर्थ
वेदों के प्रकांड ज्ञाता और महान विद्वान स्वामी रामतीर्थ का जन्म पंजाब में हुआ था। स्वामी जी का बाल्य जीवन अत्यंत अभावों में बीता। अध्ययन के पश्चात् उन्होंने कॉलेज में अध्यापन का कार्य किया, घर-गृहस्थी भी बसाई लेकिन जब इनमें मन नहीं लगा तो वे संन्यासी बन गए। मात्र 33 वर्ष की आयु में उन्होंने भागीरथी (गंगा) नदी में जल समाधि ले ली।

 

आद्य शंकराचार्य
चारों वेदों के अध्येता, सनातन धर्म के प्रचारक आद्य शंकराचार्य जी का निर्जीव शरीर जब चिता पर रख दिया गया था तब सहसा उनके शरीर में इसी दिन पुन: प्राणों का संचार हुआ था।

 

भगवान बुद्ध
बौद्ध धर्म के प्रवर्त्तक भगवान गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बौद्ध धर्म के समर्थकों व अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व हजारों-लाखों दीपक जला कर दीपावली के दिन ही उनका स्वागत किया था। आज भी बौद्ध धर्म के अनुयायी दीपावली के दिन अपने स्तूपों पर दीपक प्रज्वलित करके भगवान बुद्ध का स्मरण करते हैं।
 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!