शिवरात्रि पर शिव शंकर को करना चाहते हैं प्रसन्न, तो इस रंग के वस्त्रों को न करें धारण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 05:59 PM

do not do these things on maha shivratri

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाने वाले महाशिवरात्रि पर्व के दिन को लेकर मान्यता प्रचलित है कि इस दिन सृष्टि के प्रारंभ में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था।

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाने वाले महाशिवरात्रि पर्व के दिन को लेकर मान्यता प्रचलित है कि इस दिन सृष्टि के प्रारंभ में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। भगवान भोलेनाथ एक ऐसे देवता है जो सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं। परंतु यह एकमात्र एक एेसे देव हैं जो जितनी शीघ्र प्रसन्न होते हैं उतनी ही जल्दी नाराज भी हो जाते हैं। इसलिए शिवरात्रि के दिन और पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी माना जाता है।


इस दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए। जल्दी उठकर और बिना स्नान किए कुछ भी न खाएं। व्रत न होने पर भी बिना स्नान किए भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। 


सबसे जरूरी और ध्यान में रखने की बात है कि अगर शिवरात्रि का उपवास रख रहे हैं तो सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और गर्म पानी से शरीर की सारी अशुद्धि दूर करनी चाहिए। यह आवश्यक नहीं कि वस्त्र नए हों लेकिन इसे बदले साफ-सुथरे वस्त्र ही धारण करने चाहिए। 

शिवरात्रि पर चावल, दाल और गेहूं से बने खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए। भक्तजनों को फल, दूध, चाय, कॉफी इत्यादि का सेवन करना चाहिए।


शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को यदि प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन काले रंग के कपड़े कदापि न पहनें।


ऐसी मान्यता है कि भक्तजनों को शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दुर्भाग्य आता है। ऐसा करने से धन हानि और बीमारियां भी हो सकती हैं।


ऐसा कहा जाता है कि शिवरात्रि पर भक्तों को सोने के बजाए जागरण करना चाहिए। रात्रि जागरण के समय भगवान शिव के भजनों और आरती को गाना चाहिए। व्रत को अगली सुबह स्नान के बाद प्रसाद ग्रहण करके और भगवान शिव को तिलक लगाकर खोसा जा सकता है। 


ये चीजें नहीं चढ़ाएं- 
शिवलिंग पर कभी भी तुलसी की पत्ती न चढ़ाएं। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से पहले यह ध्यान रखें कि पाश्चुरीकृत या पैकेट का दूध इस्तेमाल न हो, शिवलिंग पर ठंडा दूध ही चढ़ाएं। अभिषेक हमेशा ऐसे पात्र से करना चाहिए जो सोना, चांदी या कांसे का बना हो।  


भगवान शिव को भूलकर भी केतकी और चंपा फूल नहीं चढ़ाएं। ऐसा कहा जाता है कि इन फूलों को भगवान शिव ने शापित किया था। केतकी का फूल सफेद होने के बावजूद भोलेनाथ की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए। 


सामान्यत: शिवरात्रि का व्रत सुबह शुरू होता है और अगली सुबह तक रहता है। व्रती को फल और दूध ग्रहण करना चाहिए हालांकि सूर्यास्त के बाद कुछ नहीं खाना चाहिए।


इसके अलावा शिवलिंग पर या शिव की पूजा में कभी भी टूटे चावल न चढ़ाएं।

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