इस जन्म में न करें ये काम, वरना सात जन्मों तक भोगना पड़ेगा नरक

Edited By ,Updated: 13 Mar, 2017 03:16 PM

do not do this work otherwise you will have to suffer

जिन जातकों की जन्मपत्री में सूर्य-शनि की युति या दृष्टि होने तथा जन्मपत्री के द्वितीय, पंचम या नवम भाव में राहू विराजमान हो वह

जिन जातकों की जन्मपत्री में सूर्य-शनि की युति या दृष्टि होने तथा जन्मपत्री के द्वितीय, पंचम या नवम भाव में राहू विराजमान हो वह जातक पितर दोष से पीड़ित होता है।  भ्रूण हत्या करने वाले, ब्राह्मण की हत्या, विधवा, विकलांग, अनाथ की भूमि पर अवैध कब्जा करने वाले, बुजुर्गों एवं माता-पिता का अपमान करने वाले भयंकर पितर दोष से पीड़ित होते हैं। ऐसे लोगों को सात जन्मों तक नरक भोगना पड़ता है और उनके पितर हमेशा दु:खी व अशान्त रहते हैं। 


पितर दोष हो तो देवता-ग्रह भी काम नहीं करते। लकवा, कैंसर और सिर दर्द जैसे रोग उत्पन्न होते हैं। गृह-क्लेश, विवाह-सन्तान, मकान, व्यापार-नौकरी में तनाव उत्पन्न होकर काम अंतिम क्षण में बदल जाता है। पितर दोष मनुष्य के वर्तमान जीवन की सफलता-असफलता में अपना अदृश्य प्रभाव निश्चित रूप से डालते हैं। व्यक्ति पर पितरों का ऋण हो तो वह आगे नहीं बढ़ सकता तथा उसका जीवन ग्रहण लगकर प्रकाशहीन हो जाता है। कलंक, घोर संकट एवं असाध्य बीमारी एवं कभी-कभी अकाल मृत्यु का कारण भी बन जाता है। 

 

उपाय 
प्रसिद्ध तीर्थ-स्थान च्यवन ऋषि की तपस्यास्थली ढोसी नजदीक नारनौल (हरियाणा), गया जी (बिहार), संगम (इलाहाबाद), हरिद्वार में पितरों के नाम से गंगा-स्नान करके धूप, दीपक जलाएं। हाथ में चावल, पुष्प, जल व दक्षिणा लेकर संकल्प करें और गणेश पूजन, विष्णु, पीपल का पूजन करें। 

पीपल को जल चढ़ाएं, पंचामृत चढ़ाकर गंगाजल से स्नान कराएं, मौली लपेटें, जनेऊ अर्पण करके,  धूप-दीप, नैवेद्य, खीर, इमरती का भोग लगाएं। फल चढ़ा कर दक्षिणा अर्पण कर नमस्कार करें। इसके बाद खड़े होकर पीपल पर सूत लपेटते हुए सर्व पितर दोष निवारण मन्त्र का जाप करते हुए परिक्रमा करें और अपने पितरों को हृदय से नमस्कार करें।

 

दान वस्तु  
चावल, एक-एक पाव जौ, चीनी, उड़द, मूंग, मसूर, चने की दाल, बाजरा, दही, खीर, मिठाई तथा सफेद वस्त्र, फल, पुस्तक, घी, चांदी-सोना आदि इन सभी वस्तुओं का संकल्प करके पीपल वृक्ष के नीचे ही किसी जरूरतमन्द (अंध-विद्यालय, कुष्ठाश्रम, वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम, गौशाला) विद्वान ब्राह्मण  को श्रद्धापूर्वक दान कर देना चाहिए। पत्नी के कारण गृह-क्लेश हो तो गौरी-शंकर रुद्राक्ष एवं पति-पत्नी वशीकरण सिद्ध यंत्र धारण करें। 

चन्द्रमा से पीड़ित जातक दूध, चावल, घी, अनाथालय या वृद्धाश्रम में दान करें तथा अपने माता-पिता को अपने हाथों से सायं काल दूध पिलाना चाहिए।  संतान अथवा केतु से पीड़ित जातक 101 तन्दूर की मीठी रोटी बना कर गाय, कौओं व कुत्तों को खिलाएं, किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में रखें। 

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