चाणक्य नीति:इन परिस्थितियों में न करें जल का सेवन, करता है जहर का काम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Jul, 2017 11:43 AM

do not drinking water in these situation

चाणक्य की कई नीतियां आज के समय में भी कारगर साबित होती हैं। चाणक्य की नीतियां जीवन के कई पहलुओं का समाधान करती हैं। चाणक्य ने अपने कई श्लोकों के माध्याम से

चाणक्य की कई नीतियां आज के समय में भी कारगर साबित होती हैं। चाणक्य की नीतियां जीवन के कई पहलुओं का समाधान करती हैं। चाणक्य ने अपने कई श्लोकों के माध्याम से बहुत सारी समस्याओं का समाधान बताया है। इस श्लोक के माध्यम से उन्होंने पानी पीने का तरीका बताया है। उनके अनुसार इन परिस्थितियों में पीया पानी  विष के समान होता है।

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चाऽमृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।। 


व्यक्ति को जीवित रहने के लिए खाने अौर पानी की बहुत अवश्यकता है। खाना हमारे शरीर को काम करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। खाना अच्छे से नहीं पचेगा तो व्यक्ति को पेट सबंधी रोगों का सामना करना पड़ता है। इसलिए आचार्य चाणक्य के अनुसार खाना खाते समय पानी पीने के संबंध में विशेष सावधानी रखनी चाहिए।

चाणक्य के अनुसार खाना खाने के बाद तब तक पानी नहीं पानी चाहिए, जब तक खाना पच नहीं जाता। खाने के मध्य या तुरंत बाद पानी पीने से खाना अच्छे से नहीं पचता है। 

भोजन करने के करीब 1-2 घंटे के बाद खाना पच जाता है। उसके बाद जल का सेवन करना अमृत की भांति कार्य करता है। इससे भरपूर ऊर्जा मिलती है अौर पेट व पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को कब्ज, एसीडिटी, अपच आदि समस्याअों से मुक्ति मिलती है।
 

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