ऐसी नजर वाले सारी उम्र रहते हैं दरिद्र, जितना भी प्रयत्न कर लें नहीं बनते धनवान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jun, 2017 11:03 AM

do not keep an eye on anyones earnings

एक दिन महात्मा जी भिक्षा मांगने जा रहे थे। सड़क पर एक सिक्का दिखा, जिसे उठाकर उन्होंने झोली में रख लिया। उनके साथ जा रहे दोनों शिष्य इससे हैरान हो गए।

एक दिन महात्मा जी भिक्षा मांगने जा रहे थे। सड़क पर एक सिक्का दिखा, जिसे उठाकर उन्होंने झोली में रख लिया। उनके साथ जा रहे दोनों शिष्य इससे हैरान हो गए। वे मन में सोच रहे थे कि काश सिक्का उन्हें मिलता तो वे बाजार से मिठाई ले आते। महात्मा जी उनके मन की बात जान गए। वह बोले, ‘‘यह साधारण सिक्का नहीं है, मैं इसे किसी योग्य व्यक्ति को दूंगा।’’ मगर कई दिन बीत जाने के बाद भी उन्होंने सिक्का किसी को नहीं दिया।


एक दिन महात्मा जी को खबर मिली कि सिंहगढ़ के महाराज अपनी विशाल सेना के साथ उधर से गुजर रहे हैं। महात्मा जी ने शिष्यों से कहा, ‘‘सोनपुर छोडऩे की घड़ी आ गई।’’


शिष्यों को साथ लेकर महात्मा जी चल पड़े। तभी राजा की सवारी आ गई। मंत्री ने राजा को बताया कि यह जो महात्मा जा रहे हैं, बड़े ज्ञानी हैं। राजा ने हाथी से उतर कर महात्मा जी को प्रणाम किया और कहा, ‘‘कृपया मुझे आशीर्वाद दें।’’


महात्मा जी ने झोले से सिक्का निकाला और उसे राजा की हथेली पर रखते हुए कहा, ‘‘हे नरेश, तुम्हारा राज्य धन-धान्य से संपन्न है, फिर भी तुम्हारे लालच का अंत नहीं है। तुम और पाने की लालसा में युद्ध करने जा रहे हो। मेरे विचार में तुम सबसे बड़े दरिद्र हो। इसलिए मैंने तुम्हें यह सिक्का दिया है।’’ 


राजा इस बात का मतलब समझ गया। उसने सेना को वापस चलने का आदेश दिया।
तात्पर्य यह कि लालच इंसान को इतना अंधा कर देता है कि उसे अच्छे और बुरे में फर्क दिखाई नहीं देता। इसलिए परमात्मा ने आपको जितना दिया है उसी में संतुष्ट रहें। किसी दूसरे की मेहनत की कमाई पर लालच भरी नजर न रखें।

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