एक महीने तक रात में करें ये काम, नरक में पड़े पितर होंगे उत्तम गति को प्राप्त

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Oct, 2017 09:51 AM

do this for one month in the night

कार्तिक में दीपदान और जागरण करने की महिमा अपार है। वैसे तो भगवान के मंदिर में दीप दान करने वालों के घर में सदा ही खुशहाली के दीपक जलते रहते हैं परंतु कार्तिक मास में दीपदान की असीम महिमा है। इस मास में

कार्तिक में दीपदान और जागरण करने की महिमा अपार है। वैसे तो भगवान के मंदिर में दीप दान करने वालों के घर में सदा ही खुशहाली के दीपक जलते रहते हैं परंतु कार्तिक मास में दीपदान की असीम महिमा है। इस मास में वैसे तो किसी भी देव मंदिर में जाकर रात्रि जागरण किया जा सकता है परंतु यदि किसी कारण वश मंदिर में जाना सम्भव न हो तो किसी पीपल व वट वृक्ष के नीचे बैठकर अथवा तुलसी के पास दीपक जलाकर प्रभु नाम की महिमा का गुणगान किया जा सकता है। 


भगवान को कृपानिधान कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्त की भावना से ही प्रसन्न होकर उस पर कृपा कर देते हैं परंतु यदि किसी के पास दीपक जलाने तक की भी सुविधा न हो तो स्कंदपुराण के अनुसार किसी भी बुझे हुए दीपक को जलाकर अथवा उसे हवा के तेज झोंकों से बचाने वाला भक्त भी प्रभु की कृपा का पात्र बन जाता है। इस मास में भूमि पर शयन करना भी उत्तम कर्म है। 


पितरों के लिए आकाश में दीपदान करने की अत्यधिक महिमा है, जो लोग भगवान विष्णु के लिए आकाश में दीप का दान करते हैं उन्हें कभी क्रूर मुख वाले यमराज का दर्शन नहीं करना पड़ता। जो लोग अपने पितरों के निमित्त आकाश में दीपदान करते हैं उनके नरक में पड़े पितर भी उत्तम गति को प्राप्त करते हैं। जो लोग नदी किनारे, देवालय, सडक़ के चौराहे पर दीपदान करते हैं उन्हें सर्वतोमुखी लक्ष्मी प्राप्त होती है।


कार्तिक में दान की महिमा- जो मनुष्य इस संसार में अपनी नेक कमाई में से सच्चे भाव से कुछ भी किसी को देता है वह भाग्यशाली होता है क्योंकि सभी दूसरों से कुछ पाना चाहते हैं और देने वाला महान होता है। कार्तिक मास में किया गया दान भी अति श्रेष्ठ कर्म है तथा दान अनेकों प्रकार का है। स्कंदपुराण के अनुसार दानों में श्रेष्ठ कन्यादान है, कन्यादान से बड़ा विद्या दान, विद्यादान से बड़ा गोदान, गोदान से बड़ा अन्न दान माना गया है। अन्न ही सारी सृष्टि का आधार है इसलिए अन्न दान अति उत्तम कर्म माना गया है। इसके अतिरिक्त अपनी सामर्थ्यानुसार वस्त्र, धन, जूता, गद्दा, छाता व किसी भी वस्तु का दान करना चाहिए तथा कार्तिक में केले और आंवले के फल का दान करना भी श्रेयस्कर है।


प्रस्तुति वीना जोशी 
veenajoshi23@gmail.com

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