ग्रहण को लेकर मन में हैं शंकाएं, पढ़ें वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय विश्लेषण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Aug, 2017 08:58 AM

doubts in the mind about eclipse read scientific and astrological analysis

ग्रहण के विषय में कुछ वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय जानकारी सब को होनी चाहिए। सूर्य व चंद्र ग्रहण खगोलविदों, वैज्ञानिकों, ज्योतिषियों तथा एक आम आदमी के लिए भी उत्सुकता का विषय सदियों से रहे हैं।

ग्रहण के विषय में कुछ वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय जानकारी सब को होनी चाहिए। सूर्य व चंद्र ग्रहण खगोलविदों, वैज्ञानिकों, ज्योतिषियों तथा एक आम आदमी के लिए भी उत्सुकता का विषय सदियों से रहे हैं। वैज्ञानिक इसे एक अन्वेषण व अनुसंधान के तौर पर देखते हैं और ज्योतिषी इससेे आम लोगों के जीवन पर होने वाले प्रभावों को रेखांकित करता है। ज्योतिष शास्त्र भी खगोलीय घटनाओं की व्याख्या करता है। 


जब आकाश में सूर्य और चंद्रमा अपनी-अपनी गति से घूमते रहते हैं तो कई बार दोनों धरती की एक सीध में पड़ जाते हैं जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य का वह भाग धरती वासियों को काला सा दिखने लगता है और इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसा केवल अमावस्या के दिन ही संभव हो सकता है और चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा पर ही लग सकता है।


शंका निवारण :  बहुत से लोग ग्रहण को मात्र एक खगोलीय घटना ही मानते हैं और इसमें किसी भी प्रकार की सावधानी बरतने को अंधविश्वास या दकियानूसी करार देते हैं। यह उनकी मान्यता हो सकती है परंतु वैज्ञानिक दृष्टि से भी ग्रहण के समय विकिरण के कारण आंखों, रक्त संचार, रक्त चाप और खाद्य पदार्थों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। 
सूर्य ग्रहण के समय वैज्ञानिक, सूर्य को नंगी आंखों से न देखने की सलाह क्यों देते हैं यदि यह केवल मात्र खगोलीय घटना ही है। 


भारत की हर परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण रहे हैं। आज वैज्ञानिक सुपर कम्प्यूटर के माध्यम से ग्रहण लगने और समाप्त होने का समय बताते हैं जबकि महाभारत काल में तो हमारे वैज्ञानिक ऋषि-मुनियों एवं गणितज्ञों ने त्रिकोणमीति जो भारत की देन है, की सहायता से  5000 साल पहले ही बता दिया था कि महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में पूर्ण सूर्य ग्रहण लगेगा।  


पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने से जब भरी दोपहरी में अंधकार छा जाता है तो पक्षी  भी अपने घोंसलों में लौट आते हैं। यह पिछले सूर्य ग्रहण के समय लोग देख चुके हैं और पूरे विश्व के वैज्ञानिक भी। तो ग्रहण का प्रभाव हर जीव जन्तु, मनुष्य, तथा अन्य ग्रहों पर  पड़ता है। गुरुत्वाकर्षण घटने या बढऩे से धरती पर भूकंप आने की संभावना ग्रहण के 41 दिन पहले या बाद तक रहती है।

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