संतान से मिलने वाली परेशानी है आपके बुरे कर्मों का परिणाम

Edited By ,Updated: 18 Feb, 2017 08:54 AM

evil is the result of a child

धरती पर जिस व्यक्ति ने जन्म लिया है, उसे कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है की संतान से मिलने

धरती पर जिस व्यक्ति ने जन्म लिया है, उसे कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है की संतान से मिलने वाला सुख-दुख भी अच्छे-बुरे कामों के द्वारा ही प्राप्त होता है। संतान से सुख मिलेगा या दुख ऐसे निर्धारित करते हैं ग्रह, जानिए कारण और निवारण। यदि संतान अवरोधक ग्रह शनि हो तो समझिए कि जातक ने पीपल के वृक्ष कटवाए हैं। मरते समय किसी की आत्मा को दुख दिया, निर्धन गरीब की हाय लगी, पिशाच, प्रेत एवं मृतात्मा के दोष से जातक को संतान का सुख  नहीं है। पीपल के वृक्ष की सेवा, ब्राह्मणों की सेवा, शिव-पार्वती की पूजा (पीपल के पेड़ के नीचे हो तो अति उत्तम है) करें एवं केले के पेड़ को पानी दें। शनि संबंधी वस्तुओं का दान करें और शनिवार का व्रत रखें। महामृत्युंजय मंत्र का जप एवं रुद्राभिषेक का हवन करें, बबूल की दातून करें। हनुमान उपासना एवं बजरंग बाण का पाठ करें। तैंतालीस दिन तक कौओं को रोटी डालें तथा अपने भोजन से गाय, कुत्ता, एवं कौए को एक-एक टुकड़ा डालें। शनिवार को तेल में अपनी छाया देखकर तेल का दान करें। बड़े बुजुर्गों का मान-सम्मान करें। लोहा या काले उड़द का दान करें। 


यदि शुक्र के कारण संतान न हो रही हो तो ऐसे जातक को सुगंधित पुष्पों के पेड़-पौधे, लताओं एवं फल पुष्पों से युक्त वृक्षों को कटवाया है। गौ माता के प्रति पाप किया है। साध्वी स्त्री, पत्नी, प्रेमिका का श्राप, गर्भपात, बलात्कार का दोष या दक्षिणी का श्राप है। शुक्र संबंधित वस्तुओं का दान करते हुए शुक्रवार का व्रत रखें तथा गाय की सेवा करें। भोजन के कुछ टुकड़े गाय को खिला दें, कुछ टुकड़े कौए को तथा दो टुकड़े कुत्ते को खिला दें। सफेद जरकन, हीरा, स्फटिक, सफेद पुखराज को मध्यमा उंगली में धारण करें। गौदान करें। ज्वार एवं हरा चारा गायों को खिलाएं। लक्ष्मी उपासना करें। सफेद एवं स्वच्छ कपड़े धारण करें। सुगंधित पदार्थों, इत्रों का प्रयोग करें।


यदि राहू के कारण संतान बाधा हो रही हो, तो सर्प के श्राप से ऐसा हुआ है। इसके निवारण हेतु राहू के मंत्रों का बहत्तर हजार बार जप करें तथा दो लाख बार गायत्री (सरस्वती) मंत्रों का जप करें। सर्दी में गरीबों को कंबल दान करें, बुधवार का व्रत रखें, पराई कन्या की शादी या कन्यादान करें। संयुक्त परिवार में रहें। ससुराल से संबंध न बिगाड़ें तथा सिर पर चोटी रखें। जौ या अनाज को बड़े स्थान पर बोझ के नीचे दबाएं या जौ दूध से धोकर बहते पानी में बहाएं। सरसों, मूली एवं नील का दान करें। गोमेद (आठ रत्ती) की अंगूठी बनाकर पहनें। मसूर की दाल एवं पैसे सफाई कर्मचारी को दें।


यदि केतु के कारण संतान बाधा हो तो ऐसे में ब्राह्मणों के श्राप एवं अपमान के कारण ऐसा योग बना है। केतु का तैंतीस हजार बार जाप करते हुए गणेश जी के मंत्रों का दो लाख बार जप करें। ब्राह्मणों को सम्मान देकर प्रीतिपूर्वक भोजन कराकर संतुष्ट करें। कपिला गाय का दान करें, गणेश चतुर्थी का व्रत करें। कुत्ता पालें और कान छिदवाएं। कुत्ते को रोटी खिलाएं, नौ वर्ष से कम के बच्चों को खट्टी वस्तुएं खाने को दें तथा काले एवं सफेद तिल बहते पानी में बहाएं। तिल, नींबू एवं केले का दान करें। चरित्र ठीक रखें तथा पाप कर्मों से बचें।


यदि संतान अवरोधक ग्रह गुरु हो तो ऐसे व्यक्ति ने इस जन्म में या पूर्व जन्म में फलदार वृक्षों को कटवाया है तथा गुरु, कुल देवता, आदरणीय व्यक्ति, अपने परिवार के बुजुर्गों एवं माता-पिता का भी अनादर किया है जिसके कारण जातक को संतान सुख प्राप्त नहीं होता। इसके निवारण हेतु बृहस्पति के मंत्रों का कम-से-कम एक लाख बार जप कर लें। गुरु संबंधित वस्तुओं का दान करते हुए वृद्ध लोगों, ब्राह्मणों, पीपल के पेड़ की सेवा करें और गुरुवार को व्रत करें। पुखराज सात रत्ती का सोने या चांदी की अंगूठी में पहनें। पीले फूलों वाले पौधे एवं वृक्ष लगाएं।

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