एक ओर समुद्र तो दूसरी ओर जंगल, शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित प्रसिद्ध किले

Edited By ,Updated: 17 May, 2017 11:13 AM

famous fort built by shivaji maharaj

तारकरली मालवन के दक्षिण में 8 कि.मी. और मुम्बई से लगभग 546 कि.मी. की दूरी पर महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह करली नदी और अरब सागर के संगम पर स्थित है। तारकरली,

तारकरली मालवन के दक्षिण में 8 कि.मी. और मुम्बई से लगभग 546 कि.मी. की दूरी पर महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह करली नदी और अरब सागर के संगम पर स्थित है। तारकरली, महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के मालवन तालुका का एक गांव है। आकर्षक समुद्र तट वाला यह स्थल तटीय महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। यहां से शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित प्रसिद्ध नौसैनिक किले सिंधुदुर्ग को देख सकते हैं। यह गांव अपने रामनवमी उत्सव के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां हर साल महापुरुष मंदिर में रामनवमी के उत्सव की व्यवस्था की जाती है। इस अवसर पर विभिन्न नाटकों (मराठी नाटक) का मंचन होता है। यह एक ऐसा बीच है जहां समुद्र के किनारे छुट्टियां मनाना किसी अनोखे एहसास से कम नहीं है। इस पर्यटन स्थल पर बीच का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। महाराष्ट्र के तटीय इलाके में बसा यह बीच अपने अंदर  एक अलग तरह की संस्कृति और प्राकृतिक नजारे समेटे हुए है। शहरी वातावरण से दूर, यह जगह छुट्टियां बिताने के लिए काफी अच्छी है। 


क्या है खास
यह बीच बिल्कुल केरल के समुद्री तटों की तरह दिखता है। आकर्षक समुद्री तट वाला यह स्थान तटीय महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां एक तरफ समुद्र है तो दूसरी ओर घना जंगल। यहां का समुद्र तट एक लम्बी परन्तु संकीर्ण पट्टी के रूप में स्थित है, पानी बहुत साफ है। किसी खुले दिन में 20 फुट की गहराई तक सागर तल साफ दिखाई देता है। पृष्ठभूमि में ‘शुरु’ के पेड़ एक अनोखी छटा प्रस्तुत करते हैं। विस्तृत नदी, सुंदर पाल नौकाएं और नदी तट पर बनी सुंदर द्वीपीय झोंपडिय़ां तारकरली की सुरम्य सुंदरता को और बढ़ा देती हैं। यह तट डॉल्फिनों को देखने के लिए भी मशहूर है। तारकरली के तट पर डॉल्फिन खेलती-कूदती काफी किनारे तक आ जाती हैं। अक्सर यहां अठखेलियां करती डॉल्फिनें देखी जा सकती हैं।


कहां ठहरें?
यहां के होटलों और रिसोर्टों ने सैलानियों के मनोरंजन और आराम के लिहाज से सारी सुविधाओं की व्यवस्था कर रखी है। यहां पानी पर तैरते हाऊस बोट छुट्टियां बिताने आने वाले लोगों के लिए एक खास अनुभव का एहसास दिलाते हैं। तट पर बनी सुंदर झोंपडिय़ां तारकरली की सुंदरता को और भी बढ़ा देती हैं। इस बीच पर सैलानियों के लिए अच्छे होटल और रिसोर्ट उपलब्ध हैं। यहां कई तरह के खास व्यंजनों (नॉन-वेज और सी-फूड) का भी भरपूर आनंद उठाया जा सकता है।


कैसे पहुंचें?
रेल मार्ग या सड़क मार्ग से तारकरली आसानी से पहुंच सकते हैं। रेलमार्ग से तारकरली पहुंचने के लिए कोंकण रेल द्वारा मुम्बई से सिंधुदुर्ग या कुडाल पहुंच सकते हैं। सिंधुदुर्ग देश के कई प्रमुख शहरों से रेल व सड़क मार्ग से सीधे जुड़ा हुआ है। यहां एस.टी बसों, प्राइवेट बसों एवं निजी वाहनों से भी पहुंचा जा सकता है।

 

यहां का समुद्र तट 
एक लम्बी परन्तु संकीर्ण पट्टी के रूप में स्थित है, पानी बहुत साफ है। किसी खुले दिन में 20 फुट की गहराई तक सागर तल साफ दिखाई देता है। पृष्ठभूमि में ‘शुरु’ के पेड़ एक अनोखी छटा प्रस्तुत करते हैं।


क्या देखें?
यहां से आप शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित प्रसिद्ध नौसैनिक किले सिंधुदुर्ग को देख सकते हैं। यह किला सन् 1664 में बनाया गया था। यह किला मराठा साम्राज्य की प्रतिष्ठा का जीवित नमूना है। यहां स्कूबा डाइविंग का भी भरपूर आनंद  उठाया जा सकता है। इसके जरिए कोई भी व्यक्ति पानी के भीतर तैर कर समुद्री जीवों और वनस्पतियों का भी खूबसूरत व रोमांचित कर देने वाला नजारा देख सकता है। स्कूबा डाइविंग ट्रेनर की निगरानी में सुरक्षित ढंग से कराई जाती है।
 

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