भारतीयों के लिए कितने उपयोगी हैं फेंगशुई आर्टिकल

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2017 09:25 AM

feng shui articles and indians

फेंगशुई के जितने भी आर्टिकल आज भारत में बिक रहे हैं, उनमें से ज्यादातर चीन के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्था के प्रतीक हैं। इन प्रतीकों का उपयोग किस लिए किया जा रहा है, यह चीन के

फेंगशुई के जितने भी आर्टिकल आज भारत में बिक रहे हैं, उनमें से ज्यादातर चीन के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्था के प्रतीक हैं। इन प्रतीकों का उपयोग किस लिए किया जा रहा है, यह चीन के निवासी अच्छी तरह से जानते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी संस्कृति एवं धर्म के बारे में सही जानकारी होती है, जबकि इसके विपरीत हम भारतीय उनके प्रतीकों का महत्व नहीं जानते। हम हमारे भारतीय संस्कृति के प्रतीकों का अर्थ अच्छी तरह से जानते हैं। हम अपने प्रतीक चिह्नों का उपयोग करते वक्त यह भी समझते हैं कि उनसे हमें क्या लाभ होगा और यह समझा हुआ अर्थ ही हमारे विश्वास और आस्था को बढ़ाता है और इस बढ़ी हुई आस्था और विश्वास के बल पर हम अपने कार्यक्षेत्र में अधिक उत्साह और उमंग से कार्य करते हैं और उचित शुभ परिणाम प्राप्त करते हैं।  


फेंगशुई की उत्पत्ति चीन में हुई है, फेंगशुई के ज्यादातर आर्टिकल्स सिम्बालिक है जैसे विद्या के लिए एज्यूकेशन टावर है, पैसे के लिए लाफिंग बुद्धा के सिर पर रखी हुई पोटली है, लम्बी उम्र के लिए कछुआ इत्यादि हैं। हमारी भारतीय संस्कृति बहुत ही समृद्ध है। हमारे यहां बुद्धि के लिए गणेश जी हैं, गणेशजी का मंत्र पढ़ने एवं स्मरण करने से विद्या लाभ मिलता है। धन के लिए धन की देवी लक्ष्मी हैं, जिनकी पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है, तिजोरी में लक्ष्मी एवं गणेश जी की छाप वाला चांदी का सिक्का रखने से तिजोरी में बरकत बनी रहती है, भय दूर करने के लिए हनुमान् जी है, हनुमान चालीसा पढ़ने से या हनुमान् जी का ताबीज पहनने से भय दूर होता है। हमारे यहां पति की लम्बी आयु के लिए सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखकर वटवृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है, क्योंकि वटवृक्ष की आयु 200 से 300 वर्ष मानी जाती है। 


फेंगशुई में नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए विंडचाईम लगाने की सलाह दी जाती है तो हमारे यहां भी पूजा आरती करते वक्त घण्टी एवं ताली बजाई जाती है। फेंगशुई में मुख्यद्वार पर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए दरवाजे पर फूलों का गुलदस्ता इत्यादि लगाने की सलाह देते हैं और हमारे यहां मुख्यद्वार ओम्, स्वास्तिक, लाभशुभ इत्यादि बनाने व लिखने की एवं  वंदनवार लगाने की परम्परा है, इससे एक कदम आगे हमारे यहां मुख्यद्वार के आगे रंगोली बनाने की भी परम्परा है। जो भरपूर मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करती है।

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