पंचम रूप-मैया स्कन्दमाता ‘‘देती सुखों का वरदान’’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Mar, 2018 09:58 AM

fifth navratra of devi sakandmata

जय-जय मां, जय-जय मां गाएं मैया स्कन्दमाता के द्वारे जाएं! असीम अभिलाषाओं की जोत जलाएं, मैया भाग्य सबके संवारती!! आओ हम सब रलमिल उतारें पंचम नवरात्र की आरती!!! मुंह बोलती ममता की हो मूरत चांद सी उजली तुम्हारी सूरत!

जय-जय मां, जय-जय मां गाएं
मैया स्कन्दमाता के द्वारे जाएं!
असीम अभिलाषाओं की जोत जलाएं,
मैया भाग्य सबके संवारती!!
आओ हम सब रलमिल उतारें
पंचम नवरात्र की आरती!!!
मुंह बोलती ममता की हो मूरत
चांद सी उजली तुम्हारी सूरत!
गोद में  ‘बाल स्कन्द’ मुस्कराए
भक्तो! चरणों में शीष नवाएं!!
वर मुद्रा में उठा हाथ तुम्हारा
वाहन शेर, मोर का है प्यारा!
कमल पुष्प की महक लुटा रही
राह मंजिल की दिखला रही!!
सुनती फरियाद सबकी सपने संवारती
उतारें प्यार से मैया की आरती!!!
राह मोक्ष की आसां करने वाली
खुशियों से तू दामन भरने वाली!
भक्तों को देती सुखों का वरदान
हे भवनों वाली तू करुणा निदान!!
चढ़ जाए जिस पर रंग भक्ति का
उसको आभास हो तेरी शक्ति का!
सताए न उम्र भर संताप कोई
बिगड़ी संवारे पल में तू सोई!!
अम्बे, दुर्गा, भवानी तू कहलाती
उतारें पार लगाने वाली की आरती!!!
कहे ‘झिलमिल’ अम्बालवी कवि
जाए न खाली दर से कोई सवाली!
रखे सर पे मां भक्तों के हाथ
घर-आंगन में लाती तू खुशहाली!!
थाली सजाएं, दीप-धूप जलाएं
रोली, मौली, पान, सुपारी चढ़ाएं!
चूडिय़ां, नारियल, लाल झंडा प्यारा
मां के दर पे स्वर्ग का नजारा!!
देख पूजन कंजकों का मां मुस्काती
उतारें खुश होकर मां की आरती!!!

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