Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jun, 2017 11:18 AM
रूसो को पढऩे का बड़ा शौक था। बचपन में ही उसकी मां गुजर गई। फिर भी वह पिता के साथ जिंदगी में आगे बढ़ता रहा। उसके पिता घड़ी
रूसो को पढऩे का बड़ा शौक था। बचपन में ही उसकी मां गुजर गई। फिर भी वह पिता के साथ जिंदगी में आगे बढ़ता रहा। उसके पिता घड़ी बनाने में माहिर थे। मगर वह अपनी लापरवाही की वजह से कभी-कभी काम करते थे। वह शराब बहुत पीते थे। इस वजह से अक्सर पैसों की तंगी हो जाती थी और नतीजा यह होता था कि रूसो की पढ़ाई रुक जाती थी। रूसो इससे परेशान रहता था। मगर सबसे बड़ा संकट आना अभी बाकी था। एक शाम रूसो का पिता बहुत शराब पीकर आया और उसे आवाज दी कि वह उसके पास आकर बैठे।
रूसो आया तो उन्होंने पूछा कि अब तक तुमने क्या पढ़ा है, कुछ पढ़ भी पाते हो। रूसो ने हां में सिर हिलाया तो पिता ने एक किताब देते हुए कहा कि इसे पढ़ो। रूसो ने पूछा यह क्या है तो पिता ने चीखकर कहा कि तुमसे जो कहता हूं वह करो। रूसो पढऩे लगा। यह एक अश्लील साहित्य की किताब थी। जब रूसो रुकता तो डांट खाता। उसका बाप सुनते-सुनते सो गया। मगर रूसो की नींद ही उड़ गई।
बाल मन पढ़ाई के इस चेहरे से दूर था। बाप शराब के नशे में उससे अश्लील साहित्य पढ़वाने लगा। इससे रूसो के मन में पढ़ाई और इस काम दोनों से घिन आ गई। उसने एक रात अपना घर छोड़ दिया। बचपन में सुधारने की जगह बिगाडऩे के उसके साथ इतने प्रयोग किए गए फिर भी वह नहीं टूटा।
संघर्ष का उसका संकल्प काम आया। उसने आगे चलकर राज्यों के सिद्धांत दिए, सभ्यता का खाका खींचा। कोई कह भी नहीं सकता कि यह वही रूसो था जिससे सब कुछ छीन लिया गया था। इसलिए हमें भी तय कर लेना होगा कि हमारा बचपन या कोई भी दौर बुरा बीता हो, हम आने वाला कल तो सुधार ही सकते हैं यह मुमकिन है। रूसो ऐसा कर सकते हैं तो हम और आप क्यों नहीं।