Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Jan, 2022 08:28 AM
आज 31 जनवरी, रविवार को पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। यह दिन संकट गणेश चतुर्थी अथवा तिल चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। वैसे तो हर माह गणेश जी के निमित्त चतुर्थी का व्रत करने का विधान है।
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Sankashti chaturthi vrat 2022: आज 21 जनवरी, शुक्रवार को पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। यह दिन संकट गणेश चतुर्थी अथवा तिल चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। वैसे तो हर माह गणेश जी के निमित्त चतुर्थी का व्रत करने का विधान है। मान्यता है की जो जातक हर महीने व्रत करने में सक्षम न हों, वह माघी चतुर्थी का व्रत कर लें, तो साल भर की चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है। उत्तर भारत में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिल चौथ के नाम से विख्यात है। भविष्योत्तर पुराण में इस व्रत को वक्रतुंड चतुर्थी कहते हुए इसकी महिमा का वर्णन किया गया है। इस दिन निराहार व्रत रखने का विधान है। शाम को श्रीगणेश का पूजन करने के उपरांत चंद्रमा की पूजा करके उन्हें अर्ध्य दें। फिर भोजन ग्रहण करें।
What are the effects of Sakat Chaturthi: ज्योतिष शास्त्री मानते हैं की गणेश जी के विभिन्न रूपों की उपासना करने से मनचाहे कार्यों की सिद्धियां पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई हो। उनकी आराधना करें। उनके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो इस लौंग तथा सुपारी को साथ लेकर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। प्रतिदिन एक लौंग और एक सुपारी अलग से भी साथ में रखें। काम पर जाने से पहले लौंग चूसें तथा सुपारी को वापस लाकर गणेश जी के आगे रख दें।
Sakat Chauth Importance: हर माह पड़ने वाली गणेश चतुर्थी, तिल चतुर्थी और बुधवार को भगवान गणेश के इन बारह नामों का जाप करने से जीवन पर मंडरा रहे महासंकटों का नाश होता है, इच्छित फलों की प्राप्ति से बप्पा झोली भर देते हैं।
12 Names of Lord Ganesha: गणेश जी के 12 नाम- वक्रतुंड, एकदंत, कृष्णपिंगाक्ष, गजवक्त्र, लंबोदर, विकट, विघ्नराज, धूम्रवर्ण, भालचंद्र, विनायक, गणपति और गजानंद।