15 जनवरी को अवश्य पढ़ें ये कथा, संकटहर्ता मंगलकर्ता करेंगे हर बाधा दूर

Edited By ,Updated: 14 Jan, 2017 03:33 PM

ganesh chaturthi sankashti katha

माघ मास में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी नाम से जाना जाता है। 15 जनवरी रविवार को ये शुभ दिन है। विघ्नहर्ता गणेश की उपासना से सारे संकट दूर होते हैं। इस दिन

माघ मास में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी नाम से जाना जाता है। 15 जनवरी रविवार को ये शुभ दिन है। विघ्नहर्ता गणेश की उपासना से सारे संकट दूर होते हैं। इस दिन गणेश कथा सुनने अथवा पढ़ने का बहुत महत्व है। व्रत रखा हो या नहीं, कथा अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए। ऐसा करने से जीवन की मुश्किल से मुश्किल बाधा दूर होती है और गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।


संकष्टी गणेश चतुर्थी कथा 
एक समय देवताओं पर विपदाओं के घनघोर बादल छाए हुए थे। तब वह सहायता के लिए भगवान शिव के पास आए। उनके दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी भी वहां मौजूद थे। देवताओं की व्यथा सुनने के बाद शिव जी ने कार्तिकेय व गणेश जी से पूछा कि आप दोनों में से कौन देवताओं के कष्ट को दूर करेगा। दोनों भाई सहायता के लिए तत्पर थे। भगवान शिव ने सोचा क्यों न दोनों की परीक्षा ली जाए। 


उन्होंने कहा, ‘‘तुम दोनों में से जो पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर यहां वापस लौट आएगा, वही देवताओं की सहायता के लिए जाएगा।’’ 

 
पिता की यह बात सुनकर श्री स्वामी कार्तिकेय तो तुरंत पृथ्वी-प्रदक्षिणा के लिए दौड़ पड़े लेकिन गणेश जी के लिए तो यह कार्य बड़ा ही कठिन था क्योंकि एक तो उनकी काया स्थूल थी, दूसरे उनका वाहन भी मूषक (चूहा) था। भला वह दौड़ में स्वामी कार्तिकेय की समता किस प्रकार कर पाते? लेकिन उनकी काया जितनी स्थूल थी, बुद्धि उसी के अनुपात में सूक्ष्म और तीक्ष्ण थी। उन्होंने अविलंब पृथ्वी की परिक्रमा का एक सुगम उपाय खोज निकाला।

 
सामने बैठे माता-पिता का पूजन करने के पश्चात उनकी सात प्रदक्षिणाएं करके उन्होंने पृथ्वी-प्रदक्षिणा का कार्य पूरा कर लिया। उनका यह कार्य शास्त्रानुमोदित था। भगवान शिव ने उन्हें आज्ञा दी की जाकर देवताओं के संकट दूर करो और साथ में आशीर्वाद भी दिया की चतुर्थी के दिन जो आपकी पूजा करेगा और रात होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके जीवन से दैहिक, दैविक, भौतिक सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाएंगी।

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