ग्रहबाधा से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में आती हैं ये समस्याएं, मंत्र शक्ति से करें उपचार

Edited By ,Updated: 22 Nov, 2016 11:08 AM

garhabadha

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त रहता है। अगर बिना बात घर में क्लेश हो, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, शत्रु अकारण परेशान कर रहे हों, सेहत साथ नहीं

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त रहता है। अगर बिना बात घर में क्लेश हो, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, शत्रु अकारण परेशान कर रहे हों, सेहत साथ नहीं दे रही हो, मान सम्मान का नाश हो रहा हो, बच्चे की बुद्धि का विकास नहीं हो रहा हो तो समझ जाएं कि व्यक्ति ग्रहबाधा से पीड़ित है।


व्यक्ति के जीवन पर सर्वाधिक असर डालते हैं सूर्य और चंद्रमा। सूर्य दोष होने पर असाध्य रोगों के कारण परेशानी होती है सिरदर्द, बुखार, नेत्र संबंधी कष्ट, सरकार के कर विभाग से परेशानी, नौकरी में बाधा जैसी परेशानीयां आती है।


चंद्र दोष होने पर जुकाम, पेट की बीमारियों से परेशानी, घर में असमय पशुओं की मत्यु, अकारण शत्रुता, धन हानि, डिप्रैशन और मानसिक अवसाद जैसी परेशानीयां आती हैं।


सुबह उठ कर अपने इष्टदेव का सिमरण करते हुए दोनों हथेलियों को देखें तत्पश्चात नित्य कामों से निवृत होकर स्नान करें। ज्यादा देर तक बिना नहाए न रहें। रात में पहने हुए कपड़ों को शीघ्र त्याग देना चाहिए। सूर्यदेव के उदय होते ही दिन का शुभारंभ होता है और रात होते ही दिन का अंत। भोर होते ही निद्रा का त्याग कर देना चाहिए। जो लोग सूर्योदय उपरांत सोते रहते हैं उन्हें मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती। 


शास्त्रों में कहा गया है कि ॥ अस्तकाले रविं चन्द्रं न पश्चेद व्याधिकारणम्॥ (ब्रह्मवैवर्त पुराण श्रीकृष्ण 75/24)
 

अर्थात: सूर्य और चंद्रमा को डूबते हुए नहीं देखना चाहिए। इससे नेत्र रोग होने का खतरा बना रहता है। यह अपशकुन के प्रतीक माने गए हैं। सूर्योदय देखना लाभदायक होता है।

नवग्रह शांति मंत्र

ऊँ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च। 
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहा शान्तिकरा भवन्तु॥

अर्थात् हे ब्रह्मा, विष्णु और शिव, मैं आपको नमस्कार करता हूं। हे त्रिदेव आप सूर्य, चंद्र, मंगल ,बुध गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु सभी ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत कर दो। ये ग्रह मेरे जीवन में शुभ प्रभाव दें।

इस मंत्र को सुबह और शाम आरती के समय जाप करें।
 

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