उपदेश नहीं उपचार है गीता: स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jun, 2017 12:37 PM

gita is not a remedy swami jananand ji maharaj

संत जीवन ईश्वर की विशेष कृपा का ही माध्यम होता है। संत केवल देश या सम्प्रदाय का ही नाम नहीं अपितु सत्य से जुडऩे और

संत जीवन ईश्वर की विशेष कृपा का ही माध्यम होता है। संत केवल देश या सम्प्रदाय का ही नाम नहीं अपितु सत्य से जुडऩे और जोडऩे का ही आधार हैं। जब सही अर्थों में कोई सत्य स्वरूप परमात्मा से जुड़ता है तो उसकी सोच भाव, उतनी ही उदार और व्यापक होते जाते हैं। ऐसी अवस्था में सेवा और सद्भावना जीवन का स्वभाव बन जाती हैं। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने सर्वभूतहिते रथा: कह कर इसी अवस्था को प्रमाणित किया है। श्री रामचरितमानस में भी स्पष्ट रूप से वर्णन है : पर उपकार वचन मन काया, संत सहज स्वभाव खगराया


‘श्रीकृष्ण कृपाधाम, वृंदावन’ एवं ब्रज मंडलाधीश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का जीवन देखा जाए तो उनमें सेवा सद्भावना की प्रेरणाएं स्पष्ट रूप में अनुभव की जा सकती हैं। अनेक नगरों में नि:शुल्क राशन सेवा, अनेक स्थानों पर नि:शुल्क पोलियो आप्रेशन सेवा, गौ सेवा के रूप में व्यापक सेवा अभियान, कई जरूरतमंद बच्चों के लिए शिक्षा केंद्र, आवश्यकता पडऩे पर जरूरतमंद कन्याओं के विवाह के अतिरिक्त हर क्षेत्र में सेवा का व्यापक स्वरूप देखने को मिलता है।


उनके द्वारा स्थापित श्रीकृष्ण कृपाधाम वृंदावन में भी चिकित्सा सेवा, विधवा माताओं की सेवा, गौ सेवा, संत सेवा आदि अनेकों सेवाएं चलती रहती हैं। इन सेवाओं के साथ-साथ पिछले कुछ वर्षों से ‘जीओ गीता’ के रूप में एक व्यापक अभियान स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज की प्रेरणा से आरंभ हुआ। जीवन जीने की कला है इसी दृष्टि से आपने जहां हजारों स्कूली बच्चों और युवाओं को गीता पढऩे और उस माध्यम से सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। 


वहीं परिवारों में सद्भावनाएं बनी रहें इसके लिए घर-घर में गीता पाठ का आह्वान किया। कुछ दिन पूर्व करनाल में उत्तर भारत के छह सौ से अधिक डाक्टरों के साथ एक सैमीनार में आह्वान किया गया उपदेश नहीं उपचार है गीता, मानवता का शृंगार है गीता।


भगवद्गीता की प्रेरणाओं के माध्यम से स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने डाक्टरों को सीधा-सा आह्वान किया कि चिकित्सा व्यवसाय सेवा बन जाए, आप हंसें, मानवता मुस्कुराए। इसका बहुत सीधा-साधा प्रभाव डाक्टरों पर देखने को मिल भी रहा है। जेल कैदियों के लिए भी भगवद्गीता की एक प्रेरणा पुस्तक प्रकाशित करवाई गई। हरियाणा की लगभग सभी जेलों में बंद कैदियों पर स्वामी ज्ञानानंद महाराज जी की प्रेरणा से भगवद्गीता का बहुत अच्छा सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है।
 

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