शुक्रवार का गुडलक: देवी कात्यायिनी करेंगी विवाह बाधा का अंत

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 23 Mar, 2018 07:05 AM

शुक्रवार दि॰ 23.03.18 को चैत्र शुक्ल षष्ठी के अंतर्गत चैत्र नवरात्रि पर छठी दुर्गा कात्यायिनी का पूजन किया जाएगा। देवी कात्यायिनी बृहस्पति ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। देवी कात्यायिनी मनुष्य के गृहस्थ अधेड़ अवस्था को संबोधित करती हैं।

शुक्रवार दि॰ 23.03.18 को चैत्र शुक्ल षष्ठी के अंतर्गत चैत्र नवरात्रि पर छठी दुर्गा कात्यायिनी का पूजन किया जाएगा। देवी कात्यायिनी बृहस्पति ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। देवी कात्यायिनी मनुष्य के गृहस्थ अधेड़ अवस्था को संबोधित करती हैं। महर्षि कत के गोत्र में उत्पन्न होने व महर्षि कात्यायन की पुत्री होने हेतु पार्वती के इस स्वरूप को कात्यायनी कहते हैं। कात्यायनी का दिव्य स्वरूप सोने के समान चमकीला है। शास्त्रनुसार चतुर्भुजी देवी के ऊपरी बाएं हाथ में कमल, निचले बाएं हाथ में तलवार, ऊपरी दाएं हाथ में अभय मुद्रा व निचले दाएं हाथ में वरदमुद्रा है जोकी भक्तों को वरदान देती है। 


शास्त्रनुसार स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित देवी पीले वस्त्रों में सिंह पर विराजमान हैं। श्रीकृष्ण को पतिरूप में पाने हेतु ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार देवी कात्यायिनी व्यक्ति की कुण्डली के नवम व द्वादश भाव पर अपने आधिपत्य से व्यक्ति के धर्म, भाग्य, इष्ट, हानि, व्यय, व मोक्ष पर अपना स्वामित्व रखती हैं। 


वास्तुशास्त्र के अनुसार इनकी दिशा उत्तरपूर्व है। इनकी पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय है गौधूलि व इनकी पूजा पीले फूलों से करनी चाहिए। इन्हें बेसन के हलवे का भोग लगाना चाहिए व श्रृंगार में इन्हें हल्दी अर्पित करना श्रेष्ठ रहता है। देवी कात्यायिनी की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जिनकी आजीविका का संबंध अध्ययन, लेखापाल या कर विभाग से है। इनकी साधना से दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है, विवाह बाधा दूर होती है व शत्रुता का अंत होता हैं।


पूजन विधि: घर की पूर्व दिशा में पूर्व मुखी होकर पीले वस्त्र पर देवी कात्यायिनी का चित्र स्थापित कर दशोपचार पूजन करें। सरसों के तेल का दीपक करें, गुगल से धूप करें, सूरजमुखी के फूल चढ़ाएं, केसर से तिलक करें तथा गुड़ चने का भोग लगाएं व चंदन की माला से 108 बार इस विशिष्ट मंत्र को जपें। पूजन के गुड़-चना गाय को खिला दें।


पूजन मुहूर्त: प्रातः 09:30 से प्रातः 10:30 तक। 
पूजन मंत्र: ॐ कात्यायन्यै देव्यै: नमः॥


आज का शुभाशुभ
आज का अभिजीत मुहूर्त:
दिन 12:03 से दिन 12:52 तक।
आज का अमृत काल: प्रातः 06:08 से प्रातः 07:45 तक।।
आज का राहु काल: दिन 10:57 से शाम 12:27 तक।
आज का गुलिक काल: दिन 07:56 से दिन 09:26 तक।
आज का यमगंड काल: प्रातः 15:28 से प्रातः 16:59 तक।


यात्रा मुहूर्त: आज दिशाशूल उत्तर व राहुकाल वास पश्चिम में है। अतः उत्तर व पश्चिम दिशा की यात्रा टालें।


आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर:
मैजेंटा।
आज का गुडलक दिशा: वायव्य।
आज का गुडलक मंत्र: ॐ पट्टांबरपरीधानायै नमः॥
आज का गुडलक टाइम: शाम 18:35 से शाम 19:35 तक।


आज का बर्थडे गुडलक: दुर्भाग्य से छुटकारे हेतु पीली सरसों सिर से वारकर कात्यायिनी के निमित कर्पूर से जलाएं।


आज का एनिवर्सरी गुडलक: विवाह बाधा दूर करने हेतु देवी कात्यायिनी पर हल्दी का उबटन चढ़ाएं।


गुडलक महागुरु का महा टोटका: शत्रुता के अंत हेतु देवी कात्यायिनी पर चढ़ा बेसन का हलवा ब्राह्मणी को खिलाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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