शनिवार का गुडलक: शनि अमावस्या पर ऐसे पाएं संतानहीन व संकटों का समाधान

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 17 Mar, 2018 07:05 AM

शनिवार दि॰ 17.03.18 को चैत्र अमावस्या व शनि अमावस्या पर्व मनाया जाएगा। चैत्र अमावस्या को विक्रमी संवत का आखिरी दिन माना जाता है और इसके अगले दिन यानी प्रतिपदा से नव विक्रमी संवत् का भी आरंभ होता है। किसी भी माह में शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को

शनिवार दि॰ 17.03.18 को चैत्र अमावस्या व शनि अमावस्या पर्व मनाया जाएगा। चैत्र अमावस्या को विक्रमी संवत का आखिरी दिन माना जाता है और इसके अगले दिन यानी प्रतिपदा से नव विक्रमी संवत् का भी आरंभ होता है। किसी भी माह में शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। यह 'पितृकार्येषु अमावस्या' के रूप में भी जानी जाती है। कालसर्प, ढैय्या व साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने हेतु शनि अमावस्या एक दुर्लभ दिन है। शनि परमात्मा के जगदा-आधार स्वरूप 'कच्छप' का ग्रहावतार व कूर्मावतार भी कहा गया है। शनि समस्त ग्रहों के मुख्य नियंत्रक हैं व उन्हें ग्रहों के न्यायाधीश मंडल का प्रधान न्यायाधीश कहा जाता है। 


शनि के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह मनुष्य को शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं। न्यायाधीश होने के नाते शनि किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वह तो मात्र कर्मों के आधार पर ही जीव को फल देते हैं। भविष्यपुराण के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या शनि को अधिक प्रिय रहती है। 'शनैश्चरी अमावस्या' के दिन पितृ श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष हो उन्हें इस दिन दान इत्यादि कर्म करने चाहिए। यदि पितृ का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है। विष्णु पुराण के अनुसार शनि अमावस्या के विशेष पूजन, स्नान, उपाय व उपवास से पितृगण के साथ-साथ ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, सूर्य, अग्नि व समस्त भूत प्राणीयों को भी तृप्ती मिलती है। पितृ दोष, संतानहीन योग व राहू दोष से छुटकारा मिलता है व मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। 


विशेष पूजन: घर की पश्चिम दिशा में काले वस्त्र पर शनिदेव का चित्र स्थापित कर विधिवत पूजन करें, सरसों के तेल का दीप करें, लोहबान से धूप करें, नीले फूल, बिल्व पत्र, पीपल के पत्ते चढ़ाएं। काजल चढ़ाएं। तिल चढ़ाएं। उड़द की खिचड़ी का भोग लगाएं व 1 माला इस विशिष्ट मंत्र का जाप करें। इसके बाद भोग काली गाय को दें। 


शनि पूजन मंत्र: शं शनैश्चराय कर्मकृते नमः॥
पूजन मुहूर्त: शाम 18:13 से शाम 19:13 तक। 


आज का शुभाशुभ 
आज का अभिजीत मुहूर्त:
दिन 12:05 से दिन 12:53 तक।
आज का अमृत काल: प्रातः 11:24 से प्रातः 13:04 तक।
आज का राहु काल: प्रातः 09:31 से प्रातः 11:00 तक।
आज का गुलिक काल: प्रातः 06:32 से प्रातः 08:01 तक। 
आज का यमगंड काल: दिन 13:58 से शाम 15:28 तक।


यात्रा महूर्त: दिशाशूल - पूर्व, राहुकाल वास - पूर्व। अतः आज पूर्व दिशा की यात्रा टालें।


आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर:
नीला।
आज का गुडलक दिशा: पश्चिम।
आज का गुडलक मंत्र: ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः॥
आज का गुडलक टाइम: प्रातः 08:01 से प्रातः 09:01 तक।


आज का बर्थडे गुडलक: शनि दोष से मुक्ति हेतु 4 सिक्के जलप्रवाह करें। 


आज का एनिवर्सरी गुडलक: संतानहीनता से मुक्ति हेतु शनि मंदिर में कटहल चढ़ाएं।


गुडलक महागुरु का महा टोटका: संकटों के समाधान हेतु सरसों का तेल लगी गुड़ की रोटी काले कुत्ते को खिलाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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