शनिवार का गुडलक: कालरात्रि का पूजन करेगा सभी ग्रह बाधाओं का अंत

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 24 Mar, 2018 07:18 AM

शनिवार दि॰ 24.03.18 को चैत्र शुक्ल सप्तमी पर चैत्र नवरात्र के अंतर्गत सप्तम दुर्गा कालरात्रि का पूजन किया जाएगा। दुर्गा के सातवें स्वरूप में देवी कालरात्रि शनि ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। कात्यायिनी मनुष्य को

शनिवार दि॰ 24.03.18 को चैत्र शुक्ल सप्तमी पर चैत्र नवरात्र के अंतर्गत सप्तम दुर्गा कालरात्रि का पूजन किया जाएगा। दुर्गा के सातवें स्वरूप में देवी कालरात्रि शनि ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। कात्यायिनी मनुष्य को पौत्रादी का सुख लेते हुए वृद्धावस्था को संबोधित करती हैं। देवी कालरात्रि का अत्यंत भयंकर स्वरूप मात्र पापियों के नाश हेतु है। देवी अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं अतः इन्हें शुभंकरी कहते हैं। पौराणिक मतानुसार कालरात्रि ही महामाया व श्रीहरि की योगनिद्रा हैं। कालरात्रि ने ही सृष्टि को एक दूसरे से जोड़ रखा है। 


शब्द कालरात्रि का अर्थ है काल की रात्रि अर्थात मृत्यु का अंत। शास्त्रनुसार देवी का रंग काजल के समान अंधकार की कालिमा लिए है। त्रिनेत्री देवी के शरीर से बिजली की भांति किरणें निकाल रही हैं। कंठ में विद्युत माला लिए देवी के बिखरे केश हवा में लहरा कर डर पैदा करते हैं। चतुर्भुजी देवी गर्दभ पर सवार हैं तथा अपनी ऊपरी दाईं भुजा से भक्तों को वरदान देती हैं, नीचली दाईं भुजा से अभय आशीर्वाद देती हैं। बाईं भुजा में क्रमश: तलवार व खड्ग धारण किया है। 


कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार कुण्डली में शनि ग्रह का संबंध दशम और एकादश भाव से होता है। अतः देवी की साधना का संबंध कर्म, प्रोफैशन, पितृ, पिता, आय, लाभ, नौकरी, से है। वास्तुशास्त्र के अनुसार देवी की दिशा पश्चिम है। कालरात्रि साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जिनकी आजीविका का संबंध कंस्ट्रक्शन, मिकेनिकल, इंजीनियरिंग, हार्डवेयर अथवा पशुपालन से है। देवी की साधना से ग्रह बाधा शांत होती है, पद्दोन्नति मिलती है व धन लाभ होता है।


पूजन विधि: घर की पश्चिम दिशा में पश्चिममुखी होकर नीला वस्त्र बिछाकर देवी कालरात्रि के चित्र की स्थापना कर विधिवत पूजन करें। स्टील के दिये में तिल के तेल का दीप करें, लोहबान से धूप करें, काजल से तिलक करें, नीले फूल चढ़ाएं व रेवड़ियों का भोग लगाएं। हकीक की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत भोग प्रसाद स्वरूप वितरित करें। 


पूजन मुहूर्त: प्रातः 08:25 से प्रातः 09:25 तक।
पूजन मंत्र: ॐ कालरात्र्यै देव्यै: नमः॥


आज का शुभाशुभ
आज का अभिजीत मुहूर्त:
दिन 12:10 से दिन 12:56 तक।
आज का अमृत काल: प्रातः 04:55 से प्रातः 06:25 तक।
आज का राहु काल: प्रातः 09:26 से प्रातः 10:56  तक।
आज का गुलिक काल: प्रातः 06:24 से प्रातः 07:55 तक। 
आज का यमगंड काल: दिन 13:58  से शाम 15:29 तक।


यात्रा महूर्त: दिशाशूल - पूर्व, राहुकाल वास - पूर्व। अतः आज पूर्व दिशा की यात्रा टालें।


आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर:
नीलकांता।
आज का गुडलक दिशा: पश्चिम।
आज का गुडलक मंत्र: ॐ नीलभुजायै नमः॥ 
आज का गुडलक टाइम: शाम 17:30 से शाम 18:30 तक।


आज का बर्थडे गुडलक: पदोन्नति हेतु देवी कालरात्रि पर चढ़े 10 लौंग ऑफिस की दराज में रखें।


आज का एनिवर्सरी गुडलक: धन लाभ हेतु देवी कालरात्रि पर 11 सिक्के चढ़ाकर तिजोरी में रखें।


गुडलक महागुरु का महा टोटका: ग्रह बाधा की शांति हेतु देवी कालरात्रि पर चढ़े 12 काली मिर्च के दाने जलप्रवाह करें।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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