Gopashtami: सौभाग्य में वृद्धि के लिए गाय माता तो खिलाएं ये वस्तु

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Nov, 2022 07:59 AM

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कार्तिक शुक्ल अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’ कहते हैं। यह गौ पूजन का विशेष पर्व है। इस दिन प्रात:काल गायों को स्नान करवा कर गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है। इस रोज गायों को गौ ग्रास देकर उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जाएं तो सब

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Gopashtami 2022: कार्तिक शुक्ल अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’ कहते हैं। यह गौ पूजन का विशेष पर्व है। इस दिन प्रात:काल गायों को स्नान करवा कर गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है। इस रोज गायों को गौ ग्रास देकर उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जाएं तो सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है। सायंकाल जब गायें चरकर वापस आएं, उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें हरी घास, भोजन आदि खिलाएं और उनकी चरणरज ललाट पर लगाएं, इससे सौभाग्य की वृद्धि होती है।

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गाय माता से जुड़ी कुछ जानकारी

गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है। वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं।

गौ माता में 33 कोटी देवी-देवताओं का वास है।

जिस जगह गौ माता खुशी से रंभाने लगे उस पर देवी-देवता पुष्प वर्षा करते हैं।

गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे, गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है।

जो व्यक्ति गौ माता की सेवा व पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है।

गौ माता के खुर में नागदेवता का वास होता है। जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप-बिच्छू नहीं आते।

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गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है।

गौ माता के मूत्र में गंगा जी का वास होता है।

गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर-दुकान, मंदिर परिसरों पर धूप करने से वातावरण शुद्ध होता है व सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

गौ माता के एक आंख में सूर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है।

गाय इस धरती पर साक्षात देवता है।

गौ माता अन्नपूर्णा देवी है, कामधेनु है। मनोकामना पूर्ण करने वाली हैं।

गौ माता के दूध में सुवर्ण तत्व पाया जाता है, जो रोगों की क्षमता को कम करता है।

गौ माता की पूंछ में हनुमान जी का वास होता है। किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाए तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है।

गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है। उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है। रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है।

गौ माता का दूध अमृत है। 

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गौ माता धर्म की धुरी हैं। गौ माता के बिना धर्म की कल्पना नहीं की जा सकती।

गौ माता जगत जननी हैं। 

गौ माता पृथ्वी का रूप हैं।

गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी हैं। गौ माता के बिना देवों वेदों की पूजा अधूरी है ।

एक गौ माता को चारा खिलाने से 33 कोटी देवी-देवताओं को भोग लग जाता है।

गौ माता से ही मनुष्यों के गौत्र की स्थापना हुई है।

गौ माता 14 रत्नों में एक रत्न है।

गौ माता साक्षात मां भवानी का रूप हैं।

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गौ माता के पंचगव्य के बिना पूजा-पाठ व हवन सफल नहीं होते हैं।

गौ माता के दूध, घी, मक्खन, दही, गोबर, गोमूत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवाई है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं ।

गौ माता को घर पर रखकर सेवा करने वाला सुखी आध्यात्मिक जीवन जीता है। उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। 

तन, मन व धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है, वो वैतरणी गौ माता की पूंछ पकड़ कर पार करता है। उन्हें गौ लोकधाम में वास मिलता है।

गौ माता के गोबर से ईंधन तैयार होता है।

गौ माता सभी देवी-देवताओं मनुष्यों की आराध्य है, इष्ट देव है।

साकेत स्वर्ग इंद्र लोक से भी उच्च गौ लोक धाम है।

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