Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Oct, 2017 12:48 PM
गोवर्धन पूजन और अन्नकूट महोत्सव दीपावली से दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में अनेकों प्रकार के खाने-पीने के प्रसाद बनाकर भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं तथा गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस दिन खरीफ फसलों से प्राप्त अनाज के पकवान तथा...
गोवर्धन पूजन और अन्नकूट महोत्सव दीपावली से दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में अनेकों प्रकार के खाने-पीने के प्रसाद बनाकर भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं तथा गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस दिन खरीफ फसलों से प्राप्त अनाज के पकवान तथा सब्जियां बनाकर भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु जी के प्रसन्न होने पर उनकी कृपा सदा घर पर बनी रहती है तथा हर प्रकार की सुख-शांति रहती है व किसी प्रकार का अभाव जीवन में नहीं रहता। वैसे तो देश-विदेश के सभी मंदिरों में यह उत्सव मनाया जाता है परंतु समूचे ब्रज क्षेत्र में इस दिन दीपावली से भी अधिक उल्लास एवं रौनक होती है। यह उत्सव मनाकर गौवंश के संवर्धन का संदेश लोगों को दिया जाता है।
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कहा जाता है कि इस रोज गौ पूजन के बाद गाय पालक को अन्न एवं वस्त्र तोहफे के रूप में देने चाहिए। ऐसा करने से घर में देवी अन्नपूर्णा के साथ-साथ महालक्ष्मी का भी वास होता है।
पके हुए चावलों को पर्वत का आकार देकर श्री कृष्ण को भोग लगाएं, ऐसा करने से वो बहुत प्रसन्न होते हैं।
श्रीकृष्ण को छप्पन प्रकार का भोग लगाएं, सामर्थ्य न हो तो तुलसी पत्र अर्पित करें।
मान्यता के अनुसार इस दिन चन्द्र दर्शन करना जीवन में अशुभता लाता है।
सुबह घर में रंगोला सजाएं।