Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Sep, 2017 12:06 PM
एक आदमी समुद्र तट पर चल रहा था। उसने देखा कि कुछ दूरी पर एक युवक ने रेत पर झुक कर कुछ उठाया और आहिस्ता से उसे पानी में फैंक दिया। उसके नजदीक पहुंचने पर आदमी ने उससे पूछा, ‘‘और भाई, क्या कर रहे हो?’’
एक आदमी समुद्र तट पर चल रहा था। उसने देखा कि कुछ दूरी पर एक युवक ने रेत पर झुक कर कुछ उठाया और आहिस्ता से उसे पानी में फैंक दिया। उसके नजदीक पहुंचने पर आदमी ने उससे पूछा, ‘‘और भाई, क्या कर रहे हो?’’
युवक ने जवाब दिया, ‘‘मैं इन मछलियों को समुद्र में फैंक रहा हूं।’’
‘‘लेकिन इन्हें पानी में फैंकने की क्या जरूरत है?’’ आदमी बोला।
युवक ने कहा, ‘‘ज्वार का पानी उतर रहा है और सूरज की गर्मी बढ़ रही है। अगर मैं इन्हें वापस पानी में नहीं फैंकूंगा तो ये मर जाएंगी।’’
आदमी ने देखा कि समुद्र तट पर दूर-दूर तक मछलियां बिखरी पड़ी थीं। वह बोला, ‘‘इस मीलों लम्बे समुद्र तट पर न जाने कितनी मछलियां पड़ी हुई हैं। इस तरह कुछेक को पानी में वापस डाल देने से तुम्हें क्या मिल जाएगा? इससे क्या फर्क पड़ जाएगा?
युवक ने शांति से आदमी की बात सुनी, फिर उसने रेत पर झुककर एक और मछली उठाई और उसे आहिस्ता से पानी में फैंक कर बोला, ‘‘आपको इससे कुछ मिले
न मिले, मुझे इससे कुछ मिले न मिले, दुनिया को इससे कुछ मिले न मिले लेकिन इस मछली को सब कुछ मिल जाएगा।’’
दोस्तो यह केवल सोच का ही फर्क है। सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति को लगता है कि उसके छोटे-छोटे प्रयासों से किसी को बहुत कुछ मिल जाएगा लेकिन नकारात्मक सोच के व्यक्ति को यही लगेगा कि यह समय की बर्बादी है?
दोस्तो यह हम पर है कि हम कौन सी कहावत पसंद करते हैं। ‘‘अकेला चना पहाड़ नहीं फोड़ सकता।’’ या ‘बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है।’’