होली के रंग विदेशों के संग, जानें विश्व भर में कैसे मनाया जाता है ये पर्व

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Mar, 2018 08:35 AM

holi colors with foreigners

सात रंगों और नौ रसों में डूबा होली का त्यौहार प्रेम, आनंद और मस्ती का त्यौहार है जो भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। अपने शत्रुओं को भी लाल-गुलाल लगाकर मित्रता की नई शुरूआत करने का अच्छा अवसर है यह रंग...

PunjabKesariसात रंगों और नौ रसों में डूबा होली का त्यौहार प्रेम, आनंद और मस्ती का त्यौहार है जो भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। अपने शत्रुओं को भी लाल-गुलाल लगाकर मित्रता की नई शुरूआत करने का अच्छा अवसर है यह रंग पर्व। भारत की रंग भरी होली के अलावा विश्व के अन्य देशों में भी होली से मिलते-जुलते पर्व मनाए जाते हैं जिनके नाम तो भले ही अलग-अलग हों परंतु अंदाज एक ही है। श्रीलंका में होली ठीक उसी प्रकार मनाई जाती है जिस प्रकार भारत में। वहां भी होली पर रंग, गुलाल और पिचकारियों का इस्तेमाल एक-दूसरे को रंगने के लिए किया जाता है।

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थाईलैंड में ‘सांग क्रान’ के नाम से होली से मिलता-जुलता पर्व वहां के नववर्ष के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन लोग मठों में जाकर भिक्षुओं को दान देते हैं और एक-दूसरे पर रंग छिड़कते हैं। पानी में खूब मस्ती होती है। त्यौहार के दौरान सभी लोग एक तालाब के निकट एकत्र होकर एक-दूसरे पर पानी फैंकते हैं और दिन भर नाच-गाना चलता रहता है। 


यूनान के ‘लव एपल’ पर्व के रंग ही निराले हैं। ‘लव एपल’ एक तरबूज की भांति होता है जो बड़े टमाटर की भांति दिखाई देता है। यूनान में मनाए जाने वाले ‘लव एपल’ पर्व के दिन रास्ते में जो स्त्री-पुरुष मिलते हैं वे एक-दूसरे पर बड़े प्यार से ‘लव एपल’ मारते हैं। रस भरे ‘लव एपल’ जब शरीर से टकरा कर पृथ्वी पर गिरते हैं तो लोग बहुत खुश होते हैं और जोर-जोर से हल्ला मचाते हैं। लोगों की मान्यता है कि एक-दूसरे पर ‘लव एपल’ फैंकने से देश किसी प्रकार के संकट में नहीं पड़ता, फसल अच्छी होती है और व्यक्ति बुरी आत्माओं के प्रभाव से बचा रहता है।


इसी प्रकार दिन यूनान में ‘पोल’ नाम का एक उत्सव भी मनाया जाता है। इसमें लकडिय़ां इकट्ठी करके उन्हें जलाया जाता है और लोग इसके गिर्द नाचते-गाते हैं। यह उत्सव यूनानी देवता ‘टायनोसियस’ की पूजा के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

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जापान में मार्च और अप्रैल के महीने में होली से मिलता-जुलता हंसी-मजाक का त्यौहार मनाया जाता है। नई फसल के स्वागत में लोग नाचते-गाते हैं और आमोद-प्रमोद से वातावरण को रंग मय बना देते हैं। इस दौरान लोग अपने परिवार के साथ चेरी के बगीचों में बैठते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं। यह उत्सव दिन भर चलता है। इस दिन विशेष भोजन और नृत्य संगीत के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।


रोम में होली से मिलता-जुलता ‘रेडिका’ नामक त्यौहार  मई में मनाया जाता है। इसमें भी किसी ऊंचे स्थान पर बैठ कर लकडिय़ां इकट्ठी करके उन्हें जलाया जाता है। लोग इनके गिर्द नाचते-गाते और खुशियां मनाते हैं। इटली वासियों की मान्यता के अनुसार यह पर्व अन्न की देवी ‘फ्लोरा’ को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है। भारतीय होली से अलग हट कर इस अवसर पर लोग तरह-तरह की आतिशबाजी करते हैं। 


फ्रांस में प्रतिवर्ष 13 अप्रैल को होली से मिलता-जुलता पर्व लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। इस दिन फ्रांसीसी लोग काफी मौज-मस्ती करते हैं और एक-दूसरे पर रंग मलते हैं। वहां जो भी इससे बचने की कोशिश करता है उसके मुंह पर भैंस की आकृति बनाकर बाजारों में घुमाया जाता है। इस त्यौहार को फ्रांस में ‘मूर्खों का त्यौहार’ भी कहते हैं। 

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अमरीका में ‘होबो’ नामक होली से मिलता-जुलता त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन विश्व भर का फूहड़पन अमरीका में देखा जा सकता है। उस दिन ‘होबो’ की सभा में लोगों का विशाल जनसमूह एकत्रित होता है। उस सभा में जाने के लिए जो पोशाकें पहनी जाती हैं उसमें किसी की शर्ट के बटन पीछे को लगे होते हैं, किसी की पैंट की एक टांग गायब होती है, किसी के एक पैर में जूता नहीं होता और अगर एक पैर में जूता है तो दूसरे में चप्पल होती है। चेहरे पर इतना भद्दा मेकअप किया होता है कि कभी-कभी घरवाले भी उन्हें पहचान नहीं पाते। अमरीका के कई विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राएं गिली मिट्टी और कीचड़ की होली खेलते हैं।


अफ्रीका के कुछ देशों में होली से मिलता-जुलता त्यौहार ‘ओमोना वेगा’ के नाम से मनाया जाता है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि प्राचीन काल में अफ्रीका का राजा बहुत क्रूर, दुष्ट और अन्यायी था। एक दिन लोगों ने उससे तंग आकर उसका वध करके उसे जला डाला। तभी से लोग उस अन्यायी राजा का पुतला जलाने के बाद खुशी से नाचते-गाते हैं और एक-दूसरे के चेहरे रंगते हैं। 

    
चैकोस्लोवाकिया में ‘बलियाकनोसे’ नामक एक पर्व मनाया जाता है जो बिल्कुल होली से मिलता-जुलता है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और नाचते-गाते हैं। 


न्यूजीलैंड के विभिन्न शहरों में प्रतिवर्ष रंगों का त्यौहार मनाया जाता है जो 6 दिन चलता है। इन दिनों में शहर के पार्कों में बच्चे, बूढ़े और युवा एकत्रित होकर अपने या दूसरे के शरीर पर पेटिंग करते हैं और खूब मौज-मस्ती करते हैं। रात को नाच-गाने का कार्यक्रम आयोजित होता है। 


पोलैंड में होली के समान ही ‘अरसीना’ नामक एक त्यौहार मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और आपस में गले मिलते हैं। पुरानी शत्रुता भूल कर नए सिरे से मैत्री संबंध स्थापित करने के लिए यह पर्व एक श्रेष्ठ उत्सव माना जाता है।  


जर्मनी की तो बात ही निराली है। वहां ‘रैनलैंड’ नामक एक पर्व पूरे 7 दिनों तक मनाया जाता है। अमरीका के ‘होबो’ नामक पर्व की भांति ही इस दिन लोग न सिर्फ अटपटे परिधान पहनते हैं बल्कि आपस में अटपटा व्यवहार भी करते हैं। सारे भेदभाव भूल कर बच्चे, बूढ़े एक-दूसरे से हंसी ठिठोली करते हैं और कोई बुरा नहीं मानता। 


पेरु में 5 दिन चलने वाला होली से मिलता-जुलता पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग रंग बिरंगे परिधानों में ड्रम की थाप पर नृत्य करते हुए टोलियों में शहर में घूमते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं।

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स्पेन की टमाटरों की होली तो सारी दुनिया में मशहूर है जब लोग टमाटरों की ढेरियों पर लोटते हैं।     

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