होलिका दहन कल: ये है पूजन मुहूर्त, कथा और उपाय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Feb, 2018 10:31 AM

holika dahan on 1st march

गुरुवार दि॰ 01.03.18 फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पर होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व में एरंड या गूलर की टहनी को ज़मीन में गाड़कर उस पर लकड़ियां सूखे उपले, चारा डालकर पूर्णिमा की रात या संध्या में इसे जलाया जाता है। होलिका दहन में मुहूर्त की...

गुरुवार दि॰ 01.03.18 फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पर होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व में एरंड या गूलर की टहनी को ज़मीन में गाड़कर उस पर लकड़ियां सूखे उपले, चारा डालकर पूर्णिमा की रात या संध्या में इसे जलाया जाता है। होलिका दहन में मुहूर्त की शुद्धि देखी जाती है, इसी मुहूर्त से आने वाले दिनों में मौसम व फसल का अंदाज़ा लगाया जाता है। इस दिन सभी लोग अलाव के चारों ओर एकत्रित होकर इसकी परिक्रमा करते हैं। बसंतागमन के लोक प्रिय गीत प्रहलाद की रक्षा की स्मृति में व उसकी क्रूर बुआ होलिका के दहन में गाए जाते हैं। होली में जौ की बालियां भूनकर खाने की परंपरा है। होली के अलाव की राख में औषधि गुण पाए जाते हैं इसलिए लोग होली के कंडे घर ले जाकर उसी से घर में गोबर की घुघली जलाते हैं। यह पर्व होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता है। 


होलिका हिरण्यकशिपु दैत्य की बहन व विष्णु भक्त प्रह्लाद की बुआ थी। होलिका को अग्नि से बचने का वरदान प्राप्त था उसके पास ऐसी चादर थी, जिसे ओढ़कर अग्निस्नान किया जाए तो अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। हिरण्यकशिपु ने बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई। होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया। विष्णु कृपा से प्रह्लाद बच गए पर होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी खुशी में ही होलका जलाकर उत्सव मनाया जाता है। होलीका दहन पर्व के विशेष पूजन व्रत व उपाय से नजर दोष से मुक्ति मिलती है, पारिवारिक क्लेश से मुक्ति मिलती है तथा शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। 


मुहूर्त विशेष: इस दिन मृत्यु वासिनी भद्रा प्रातः 08:57 से लेकर शाम 19:37 तक रहेगी जिसमें होलिका दहन वर्जित कहा गया है। अतः होलिका दहन मुहूर्त शुभ वेला में शाम 19:38 से लेकर रात 21:32 तक करना श्रेष्ठ रहेगा।


विशेष पूजन: संध्या के समय घर में होली का कंडा लाकर तथा उसमें लकड़ी, उपले आदि डालकर आलव जलाएं, उसमें रोली, अक्षत, अबीर गुलाल, नारियल मीठा रोट, व 8 पूरियों की अठवरी चढ़ाकर विधिवत पूजन करें, सरसों तेल का दीप करें, अगरबत्ती से धूप करें, लाल, पीला व सहेड चंदन चढ़ाएं, रेवड़ियों का भोग लगाएं। इस विशिष्ट मंत्र का 108 बार जाप करें। 


पूजन मंत्र: अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वाम्‌ पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्‌॥


होलिका पूजन मुहूर्त: शाम 20:30 से शाम 21:30 तक।


उपाय
शत्रु बाधा से मुक्ति हेतु शत्रु का नाम लेते हुए 6 लौंग होली में फेंक दें।


गृहक्लेश से मुक्ति हेतु होली पर चढ़े पीले चंदन से किचन में स्वस्तिक बनाएं।


नजर दोष से मुक्ति हेतु पीली सरसों सिर से 8 बार वारकर होली में डाल दें।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


 

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