Edited By ,Updated: 16 Feb, 2017 09:07 AM
वास्तु शास्त्रियों का मानना है की गृहलक्ष्मी घर-परिवार में शामिल ऊर्जा का मुख्य स्रोत होती हैं। यदि वो वास्तु सिद्धातों का पालन करें तो
वास्तु शास्त्रियों का मानना है कि गृहलक्ष्मी घर-परिवार में शामिल ऊर्जा का मुख्य स्रोत होती हैं। यदि वो वास्तु सिद्धातों का पालन करें तो घर को प्रकृति रूप से सुरक्षा कवच प्राप्त होता है। उनके द्वारा किए कामों के द्वारा महालक्ष्मी सदा प्रसन्न रहती हैं और उस घर-परिवार के संग रहती हैं। गृहलक्ष्मी को सुबह उठकर सबसे पहले अपना घर स्वच्छ करना चाहिए। साफ-सुथरा घर सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है। जिस घर में गंदगी रहती है, वहां अलक्ष्मी वास करती हैं और मेहनत कर भी वहां के लोग खुशहाल नहीं हो पाते। सफाई करने के तुरंत बाद स्नान करना चाहिए अन्यथा बीमारियां और नकारात्मकता गृहलक्ष्मी को अपनी चपेट में ले लेंगी। रोगग्रस्त गृहिणी न तो अपना ध्यान रख पाती हैं और न ही घर-परिवार का पालन-पोषण कर पाती हैं। ऐसे में वो घर वीरान हो जाता है। हिंदू शास्त्र कहते हैं जिस घर में गृहिणी न हो, वह घर जंगल के समान है।
नहाने के उपरांत तुलसी को जल दें और दीप लगाएं, प्रत्यक्ष देव सूर्य को अर्घ्य दें। घर के पूजा घर में धूप-दीप करें। शंख और घण्टी बजाएं, इससे नकारात्मकता नष्ट होगी।
फिर रसोई घर में प्रवेश करके भोजन का प्रबंध करें। भोजन की पहली थाली भगवान को अर्पित करें, फिर उस थाली को पारिवारिक सदस्यों को भोजन में मिलाकर दें।
सूर्यास्त के बाद महिलाओं को बालों में कंघी नहीं करनी चाहिए अन्यथा देवी लक्ष्मी नाराज हो जाएंगी।
महिलाओं को धैर्य और सहनशीलता से काम लेना चाहिए। बार-बार क्रोध करना और चीखना नहीं चाहिए। इससे घर में अनावश्यक विकार और अव्यवस्था घर कर लेती है।
पानी का कोई भी स्त्रोत दक्षिण-पश्चिम दिशा में न रखें, आर्थिक अभाव बना रहता है। उत्तर-पूर्वी दिशा में जल रखने से शुभता में बढ़ौतरी होती है।
उत्तर-पूर्वी कोना पवित्रता का परिचायक है। इस भाग में सफाई अवश्य रखें।
घर के बीच के हिस्से में मंदिर बनाना उत्तम रहता है।