Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 12:07 PM
घटना 19वीं सदी की है। स्कॉटलैंड के एक निर्धन परिवार में एक बालक ने जन्म लिया। उसका पिता एक छोटा-सा खोमचा लेकर फेरी लगाया करता था और मां घर पर केक बनाकर सड़क के नुक्कड़ पर बेचा करती थी
घटना 19वीं सदी की है। स्कॉटलैंड के एक निर्धन परिवार में एक बालक ने जन्म लिया। उसका पिता एक छोटा-सा खोमचा लेकर फेरी लगाया करता था और मां घर पर केक बनाकर सड़क के नुक्कड़ पर बेचा करती थी। होश संभालने पर बालक को अहसास हो गया कि इस गरीबी के वातावरण में यहां रहकर विकास नहीं हो सकता। कुछ दिनों में अपने माहौल से वह इतना ऊब गया कि घर वालों को कुछ बताए बिना अमरीका चला गया। वहां उसे एक इस्पात कंपनी में चपड़ासी का पद मिल गया।
काम ज्यादा नहीं था। जब घंटी बजती वह मैनेजिंग डायरैक्टर के सामने हाजिर हो जाता और काम पूरा करके कैबिन के बाहर रखे स्टूल पर बैठ जाता। उसे बेकार समय गुजारना अच्छा नहीं लगता था इसलिए मैनेजिंग डायरैक्टर से उसने यह इजाजत ले ली कि खाली समय में वह उनकी अलमारी से किताबें निकाल कर पढ़ेगा और फिर उन्हें सुरक्षित अलमारी में रख देगा। अब वह खाली समय में पुस्तकें पढऩे लगा। एक दिन डायरैक्टर्स मीटिंग में डायरैक्टर्स के बीच किसी बात पर विवाद होने लगा। वे किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे। वह चपड़ासी चर्चा को सुन रहा था। वह अपने स्थान से उठा और अलमारी से एक पुस्तक को निकाल कर उस पृष्ठ को खोलकर उनकी मेज पर रख दिया जिसमें उस प्रश्र का उत्तर था।
तब सबने उसकी विद्वता को सराहा। उस चपड़ासी ने उद्देश्यपूर्ण और योजनाबद्ध ढंग से स्वाध्याय करके दिखा दिया कि अध्ययन के बल पर व्यक्ति बड़ी से बड़ी योग्यता हासिल कर सकता है। प्रगति के मामले में वह यहीं तक नहीं रुका रहा। परिश्रम, लगन और निरंतर स्वाध्याय से उसने अच्छा-खासा धन भी अर्जित किया। इतिहास में उसे चैरिटी के लिए मशहूर अमरीकी करोड़पति एंड्रयू कार्नेगी के रूप में जाना जाता है।