करियर का चुनाव करने से पहले कुंडली पर दें ध्यान, विद्या-यश पाने की राहें होंगी आसान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 03:39 PM

how to choose a career

आज के दौर में सबसे बड़ी चुनौती है करियर का निर्माण। सही विषय के चयन में थोड़ी-सी भी चूक आपकी मंजिल को आपसे कोसों दूर ले जाती है इसलिए करियर के शुरूआती दिनों में ही कुंडली पर जरूर गौर करना चाहिए। कुंडली के द्वितीय व चतुर्थ भाव से शिक्षा का व पंचम भाव...

आज के दौर में सबसे बड़ी चुनौती है करियर का निर्माण। सही विषय के चयन में थोड़ी-सी भी चूक आपकी मंजिल को आपसे कोसों दूर ले जाती है इसलिए करियर के शुरूआती दिनों में ही कुंडली पर जरूर गौर करना चाहिए। कुंडली के द्वितीय व चतुर्थ भाव से शिक्षा का व पंचम भाव से बुद्धि व स्मरण शक्ति का विचार किया जाता है। दशम भाव से विद्या, यश का विचार किया जाता है। कम्पीटीशन टैस्ट में उत्तीर्ण होने अथवा न होने का विचार दशम स्थान से होता है। करियर निर्धारण में कुंडली के द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम व दशम भाव विचारणीय हैं।


यदि पंचम स्थान का स्वामी बुध हो और वह किसी शुभ ग्रह के साथ हो, यदि शुभ ग्रह दृष्ट हो, यदि बुध उच्च राशि में हो, यदि बुध पंचमस्थ हो, पंचमेश जिस नवांश में हो, उसका स्वामी केंद्रगत हो और शुभ ग्रह से दृष्ट हो इन योगों में से किसी भी योग के रहने से जातक समझदार, बुद्धिमान (इंटैलीजैंट) होता है। चतुर्थ भाव से सामान्य शिक्षा, नवम भाव से उच्च शिक्षा या तकनीकी क्षेत्र से संबंधित शिक्षा एवं एकादश (लाभ) भाव से शिक्षा प्राप्ति तथा शिक्षा में सफलता जानी जाती है।


दशम भाव से करियर का विचार किया जाता है यानी जातक को किस कर्म अथवा किस व्यापार द्वारा सफलता प्राप्त होगी इन सबका विचार दशम भाव से ही होता है। लग्र से जातक का शरीर, चंद्रमा से मन और सूर्य से आत्मा का विचार होता है। लग्र स्थान से दशम स्थान मनुष्य के शारीरिक परिश्रम द्वारा कार्य सम्पन्नता, चंद्रमा से दशम स्थान द्वारा जातक की मानसिक वृत्ति के अनुसार कार्य सम्पन्नता का एवं सूर्य से आत्मा की प्रबलता का ज्ञान होता है। लग्र और चंद्रमा में जो बली हो, उससे दशम भाव द्वारा कर्म और जातक के करियर का विचार किया जाता है। यदि चंद्रमा और लग्र इन दोनों में से दशम स्थान पर कोई ग्रह न हो तो सूर्य से, दशम स्थान में स्थित चंद्रमा से और सूर्य से दशम स्थान में कोई ग्रह न हो तो ऐसी स्थिति में दशम स्थान के स्वामी के नवांशपति से करियर का विचार किया जाता है। तीनों स्थानों से आजीविका का विचार किया जाता है। उन तीनों स्थानों में से जो बली हो उसके दशम स्थान में स्थित ग्रह से अथवा उसके दशमेश के नवांशपति के अनुसार जातक की मुख्य आजीविका होती है।

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