Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Feb, 2018 08:54 AM
अपने जीवन में जिन्होंने भी कुछ अद्भुत किया है, कुछ ऐसा जो वाकई नवीन और क्रांतिकारी हो, उन्होंने जोखिम लेने से कभी मुंह नहीं मोड़ा। खतरे मोल लेने का यह माद्दा ही एक व्यक्ति को दूसरे से अलग करता है।
अपने जीवन में जिन्होंने भी कुछ अद्भुत किया है, कुछ ऐसा जो वाकई नवीन और क्रांतिकारी हो, उन्होंने जोखिम लेने से कभी मुंह नहीं मोड़ा। खतरे मोल लेने का यह माद्दा ही एक व्यक्ति को दूसरे से अलग करता है। यह बात जितने व्यक्तियों के बारे में सच है, उतनी ही संगठनों और राष्ट्रों के बारे में भी। दो व्यक्तियों के बीच का फर्क उनकी जोखिम लेने की क्षमताओं से ही आंका जा सकता है।
आप इतिहास में एक भी ऐसा बड़ा इंसान नहीं पाएंगे, जिसने जिंदगी में बड़े जोखिम न लिए हों। मसलन बिल गेट्स ने ‘माइक्रोसॉफ्ट’ के रूप में अपना सपना साकार करने के लिए हार्वर्ड जैसे नामी-गिरामी विश्वविद्यालय से पढ़ाई बीच में ही छोडऩे का खतरा मोल लिया। उन्हें पता था कि ऐसा करना उनके करियर को नुक्सान पहुंचा सकता है, लेकिन कुछ बड़ा हासिल करने के लिए उन्होंने जोखिम उठाने का फैसला किया जिसका परिणाम आज पूरी दुनिया के सामने है।
महात्मा गांधी ने तब कितना बड़ा जोखिम लिया, जब उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से टकराने का निर्णय किया, इसकी कल्पना करना अब भी मुश्किल है। एक साधारण-सा वकील उस ब्रिटिश सरकार से लडने निकल पड़ा, जिसके राज में सूरज कभी नहीं डूबता था। जोखिम लेने की इसी क्षमता ने उस व्यक्ति को आम इंसान से ‘बापू’ बना दिया। जीवन में इस तरह का खतरा मोल लेना एक दोधारी तलवार की तरह है। इसमें न सफलता पक्की होती है और न ही आम लोगों की तरह सामान्य-सा जीवन मिलना ही तय होता है। परिणाम यदि कल्पना के अनुसार न हुआ तो लगने वाला धक्का तेज और घाव गहरा होता है।
लेकिन ‘हीरो’ वही होता है जो सामान्य की चाह नहीं रखता, विराट को पाने की अभिलाषा करता है। इसके लिए चाहे अपना अहं और अस्तित्व ही दाव पर क्यों न लगाना पड़ जाए। पर याद यह भी रखना चाहिए कि जोखिम उठाने का जज्बा वीर का साहस है, पागल का नहीं। जो बात इसे पागलपन से अलग करती है वह यह कि इसमें मोहक स्वप्न के साथ विवेक और सूझ-बूझ का भी समन्वय होता है। अगर आप बड़े मुकाम हासिल करना चाहते हैं तो जोखिम को जीवन में हिस्सेदारी देने में देरी न करें।