आपके घर पर प्रेत योनि या शाप का साया तो नहीं मंडरा रहा, इन संकेतों से जानें

Edited By ,Updated: 11 Feb, 2017 12:31 PM

if your home is facing the phantom shadow learn from these signals

इस परम भौतिक युग में, जीवन के हर क्षेत्र में भीषण स्पर्धा है। हर व्यक्ति हर मूल्य पर सफलता पाना चाहता है। जो किसी

इस परम भौतिक युग में, जीवन के हर क्षेत्र में भीषण स्पर्धा है। हर व्यक्ति हर मूल्य पर सफलता पाना चाहता है। जो किसी भी तरह सफलता अर्जित कर लेते हैं उन्हें समाज यश एवं सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करता है और जो असफल हैं वे हमेशा हेय दृष्टि से देखे जाते हैं। यदि हम अपने आसपास के विभिन्न परिवारों का विशिष्ट अध्ययन करें तो हमें उनमें कुछ बातों में एकरूपता मिलेगी। जैसे वंशानुगत घोर दरिद्रता, वंशानुगत असाध्य रोग, वंशानुगत संतानहीनता, हर कार्य में असफलता, ऋणग्रस्तता, पारिवारिक द्वेष एवं वैमनस्यता, पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवार के सदस्यों का दुर्मरण या अकाल मृत्यु या ब्रह्मचारी रहते मरना, आत्महत्या करके मरना, परिवार के सदस्यों को स्वप्न में सर्प, मृतक व्यक्ति या स्वजन, नदी, समुद्र आदि का दिखना जिस मकान में वे रहते हैं वह किसी न किसी पिशाच बाधा से ग्रस्त रहता है। इस प्रकार सभी बातें तो नहीं पर दो-चार बातें बदल-बदल कर सामने आती हैं। 


यदि ज्योतिष के माध्यम से उन परिवारों के सदस्यों की जन्म कुंडलियों का अध्ययन किया जाए तो ये सारे लक्षण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पितृदोष या पितृशाप के ही परिणाम दृष्टिगोचर होते हैं। हिंदू धर्म में जन्म व मृत्यु अति महत्वपूर्ण माने गए हैं।
मूल नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, व्यतिपात योग एवं अमावस्या आदि के दिन जन्म होने पर तथा पंचक आदि में मृत्यु होने पर विशेष रूप से विधानपूर्वक क्रियाकर्म किया जाता है। यदि किसी भी तरह मृतक का दाह संस्कार विधिवत न किया जा सके और वह अकाल मृत्यु, आत्महत्या या मन से कोई अतृप्त कामना लेकर मृत्यु को प्राप्त हो तो उसे प्रेत योनि प्राप्त होती है।


इसके अलावा जिन लोगों की मृत्यु अपने किसी परिजन या मित्र आदि के कपटपूर्ण व्यवहार एवं उसकी धन-सम्पत्ति हड़प लेने के कारण होती है तो वह व्यक्ति प्रेत योनि में विचरण करता है और प्रतिशोधस्वरूप उन परिवारों को शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक सभी प्रकार के कष्ट देता है व विभिन्न प्रकार के शापों के कारण यातना देता है। उपरोक्त वर्णन पितृदोष का या पितृशाप का ही है।

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