Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Feb, 2018 11:14 AM
शुक्रवार दि॰ 16.02.18 को फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा व शतभिषा नक्षत्र होने के कारण त्रिपुर सुंदरी का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। त्रिपुर सुंदरी दस महाविद्याओं में से एक हैं। देवी भगवातम के अनुसार त्रिपुर सुंदरी को ही आद्या शक्ति सती कहा जाता है। पिता दक्ष द्वारा...
शुक्रवार दि॰ 16.02.18 को फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा व शतभिषा नक्षत्र होने के कारण त्रिपुर सुंदरी का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। त्रिपुर सुंदरी दस महाविद्याओं में से एक हैं। देवी भगवातम के अनुसार त्रिपुर सुंदरी को ही आद्या शक्ति सती कहा जाता है। पिता दक्ष द्वारा अपमान से आहत होकर जब मां सती ने अपने प्राण उत्सर्ग कर दिये तो सती के वियोग में महेश्वर उनका पार्थिव शव अपने कंधों में उठाए चारों दिशाओं में घूमने लगे। इस महाविपत्ति को श्रीहरि के चक्र द्वारा सती के शव के 108 भागों में विभक्त कर दिया गया। इस प्रकार शव के टूकडे़ होने पर सती के शव के अंश जहां गिरे वहीं शक्तिपीठ की स्थापना हुई। उसी में एक मां त्रिपुर सुंदरी का स्थान है। महेश्वर को हृदय में धारण करने पर सती नैमिषारण्य वन में लिंग धारिणी नाम से विख्यात हुई। इन्हें ललिता देवी के नाम से जाना जाता है। कालिकापुराण के अनुसार त्रिपुर सुंदरी की दो भुजाएं हैं, यह गौर वर्ण की तथा लाल कमल पर विराजित हैं। इनकी पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है। दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार त्रिपुर सुंदरी को चण्डी का स्थान प्राप्त है। त्रिपुर सुंदरी की विधिवत पूजा से जीवन में सुख शांति आती है, अखंड समृद्धि बनी रहती है व प्रेम में सफलता मिलती है।
पूजन विधि: संध्या के समय गुलाबी वस्त्र पर देवी ललिता चित्र स्थापित कर उत्तरमुखी होकर विधिवत पूजन करें। घी का दीप करें, चंदन धूप करें, गुलाबी फूल चढ़ाएं, गुलाल चढ़ाएं, इत्र चढ़ाएं, खीर का भोग लगाएं तथा इस विशेष मंत्र से का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग किसी सुहागन को भेंट करें।
पूजन मुहूर्त: शाम 17:25 से शाम 18:25 तक।
पूजन मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं कमनीयायै नमः॥
उपाय
सुख शांति हेतु त्रिपुर सुंदरी पर चढ़ा आटा किसी ब्राह्मणी को भेंट करें।
अखंड समृद्धि हेतु त्रिपुर सुंदरी के समक्ष गौघृत का षडमुखी दीपक करें।
सुखी दांपत्य हेतु त्रिपुर सुंदरी पर चढ़ा दही-शहद सफेद गाय को खिलाएं।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com