Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Oct, 2023 11:46 AM
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी श्राद्ध पक्ष में आती है, जिस का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के नीच योनि में पड़े पितरों का उद्धार हो जाता है, श्राद्ध में आने के कारण इसे श्राद्ध एकादशी भी कहते हैं।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Indira Ekadashi 2023 Date: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी श्राद्ध पक्ष में आती है, जिस का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के नीच योनि में पड़े पितरों का उद्धार हो जाता है, श्राद्ध में आने के कारण इसे श्राद्ध एकादशी भी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 10 सितंबर को पड़ रही है और इसमें किए गए दान-पुण्यों से पितर प्रसन्न होकर अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं। जिससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है तथा परिवार के सदस्य हर क्षेत्र में तरक्की करते हैं। उनकी सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं तथा सभी कार्यों में सफलता मिलती है। एकादशी व्रत के प्रभाव से जहां बड़े से बड़े पापों का नाश हो जाता है, वहीं किए गए पुण्य कर्मों के प्रभाव से जीव अन्त में प्रभु के परमधाम को प्राप्त करता है। ज्योतिष के अनुसार जिन पितरों की किसी कारण गति न हो सकी हो अथवा जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष लगा हो उनके लिए तो यह एकादशी व्रत किसी वरदान से कम नहीं है।
लव राशिफल: प्यार हुआ इकरार हुआ...
Tarot Card Rashifal (9th october): टैरो कार्ड्स से करें अपने भविष्य के दर्शन
आज का राशिफल 9 अक्टूबर, 2023- सभी मूलांक वालों के लिए कैसा रहेगा
Indira Ekadashi vrat Vidhi कैसे करें व्रत- प्रात: स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान विष्णु जी का ध्यान करते हुए हाथ में जल लेकर व्रत करने का संकल्प करें। भगवान शालिग्राम जी का तुलसी दल के अतिरिक्त धूप, दीप, पुष्प, फल और नैवेद्य आदि से विधिवत पूजन करें, दोपहर को अपने पितरों की प्रसन्नता के लिए भगवान शालिग्राम जी के सम्मुख विधिपूर्वक श्राद्ध करें, ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा और फल देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
पितरों को दिए हुए अन्नमय पिण्ड को सूंघकर गाय को खिलाएं, स्वयं फलाहार करें। रात को जागरण करें। एकादशी व्रत में रात के जागरण और संकीर्तन का लाभ कई गुणा अधिक होता है।
Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्रि में हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा भक्तों के द्वार, पढ़ें महत्व
Surya Grahan: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, इन राशियों के जीवन में मचाएगा हलचल !
एकादशी से अगले दिन यानि द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करने से पूर्व भगवान का पूजन करके अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवाएं तथा मौन रहकर स्वयं भी भोजन करें, आलस्य न करें तथा अपने किए गए व्रत के बारे में किसी से अधिक चर्चा भी न करें।