Edited By ,Updated: 02 Nov, 2016 10:42 AM
किसी गांव में एक लोहार रहता था। वह लोहे द्वारा बनाए गए हथियारों और सामान की गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध था। इस तरह उसने उन्हें बेचकर काफी संपत्ति एकत्रित कर ली थी। तभी एक रात गांव में
किसी गांव में एक लोहार रहता था। वह लोहे द्वारा बनाए गए हथियारों और सामान की गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध था। इस तरह उसने उन्हें बेचकर काफी संपत्ति एकत्रित कर ली थी। तभी एक रात गांव में डाकुओं ने डाका डाला। वे लोहार के घर भी पहुंचे और उसका सारा धन लूट लिया। उन डाकुओं ने लोहार को बेडिय़ों में बांधकर जंगल में जिंदा छोड़ दिया। इस दौरान लोहार पूरी तरह शांत रहा। लोहार को बेडिय़ां तोडऩे में महारत हासिल थी लेकिन जब वह बेड़ी तोडऩे की जांच कर रहा था तो उसे एक कड़ी दिखाई दी। वह घबरा गया। उस कड़ी पर लोहार का बनाया हुआ पहचान चिन्ह बना हुआ था। उसे पता था कि उसके सामान की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता।
दरअसल उस कड़ी को तोडऩा असंभव था लेकिन उसने हार न मानी। उसने अपना सारा अनुभव, बुद्धि और शक्ति उस कड़ी को तोडऩे में लगा दी। इसी तरह वह थोड़ी देर में बंधन से मुक्त हो गया।
यही हाल हमारी आदतों का है। जब हम कोई आदत अपनाते हैं तब हम ही एक बंधन बनाते हैं। जब हम उसके आदी हो जाते हैं तब उससे छुटकारा पाना असंभव लगने लगता है। हम नहीं जानते कि बंधन को मजबूत करने के पीछे हमारी ही योग्यता है। यदि हम उसे तोडऩे के लिए दृढ़ संकल्प हो जाएं तो संसार की कोई भी शक्ति हमें उससे मुक्त होने से नहीं रोक सकती है।