Edited By ,Updated: 27 Nov, 2016 03:27 PM
गौतम बुद्ध ने जिस वृक्ष के नीचे साधना कर बोध प्राप्त किया था उसके प्रति वह अत्यंत ममता तथा श्रद्धाभाव रखते थे। जब भी वह वहां से गुजरते तो बोधि वृक्ष का दर्शन
गौतम बुद्ध ने जिस वृक्ष के नीचे साधना कर बोध प्राप्त किया था उसके प्रति वह अत्यंत ममता तथा श्रद्धाभाव रखते थे। जब भी वह वहां से गुजरते तो बोधि वृक्ष का दर्शन करते नहीं थकते थे।
एक दिन एक नए शिष्य ने उन्हें बोधि वृक्ष को नमन करते हुए पूछा, ‘‘प्रभु आप एक जड़ वस्तु को नमन क्यों करते हैं?’’ तथागत बोले, ‘‘जिस किसी वस्तु से मानव को लाभ और प्रेरणा मिलती है उसे उस वस्तु या व्यक्ति के लिए कृतज्ञ रहना होता है। यह उसका नैतिक धर्म है।
ठीक इसी तरह सूर्य, चंद्रमा, नदी, पेड़-पौधे, इन सभी के उपकार के प्रति हमें कृतज्ञता रखनी चाहिए।’’ इस तरह उस शिष्य की जिज्ञासा का समाधान हो गया। कृतज्ञता एक ऐसा मानवीय गुण है जो मानव को एक बेहतर इंसान बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।